मोदी सरकार (Modi government) अब कृषि से हुई आय दिखाकर कर छूट पाने वालों के खिलाफ शिकंजा कसने जा रही है. इसके लिए उसने मजबूत फ्रेमवर्क तैयार किया है, जिससे वे किसी को चकमा न दे सकें. सरकार ने आयकर छूट देने की मौजूदा प्रणाली में कई खामियों को उजागर किया है. संसद की लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) के प्रश्नों के जवाब में वित्त मंत्रालय ने कहा कि अमीर किसानों को कर अधिकारियों द्वारा अब कड़ी जांच का सामना करना पड़ेगा. वे अपनी इनकम का सोर्स कृषि से अर्जित आय बताकर मौजूदा आयकर कानूनों के तहत टैक्स में छूट पा जाते हैं.
ऐसे किसान जिनकी सालाना आए दस लाख से ज्यादा अब उन्हें गहन जांच से गुजरना होगा. लोक लेखा समिति ने संसद सामने तथ्य रखते हुए बताया गया कि लगभग 22.5% मामलों में, अधिकारियों ने दस्तावेजों के उचित मूल्यांकन और सत्यापन के बिना कृषि से अर्जित आय के मामले में कर-मुक्त दावों को मंजूरी दी. इससे टैक्स चोरी की गुंजाइश बनी रही. लोक लेखा समिति ने गत 5 अप्रैल को संसद में अपनी 49वीं रिपोर्ट, “कृषि आय से संबंधित आकलन” जारी की थी, जो भारत के महालेखा परीक्षक और नियंत्रक जनरल की एक रिपोर्ट पर आधारित है.
छत्तीसगढ़ मामले को बनाया उदाहरण
छत्तीसगढ़ में एक मामले का उदाहरण देते हुए बताया गया कि कृषि भूमि की बिक्री से प्राप्त आय बताकर 1.09 करोड़ रुपये की टैक्स छूट दी गई. इस मामले में अधिकारियों ने न तो दस्तावेजों की जांच की, जो मूल्यांकन रिकॉर्ड में कर छूट का समर्थन करते हैं, न ही मूल्यांकन आदेश पर चर्चा की गई.
धोखाधड़ी के मामलों की जांच करने के लिए पर्याप्त टीम नहीं
आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 10(1) के तहत कृषि आय को कर से छूट मिली है. कृषि भूमि के किराए, राजस्व या हस्तांतरण और खेती से होने वाली आय को कानून के तहत कृषि आय के रूप में माना गया है. आयकर विभाग ने कहा कि उसके पास अपने सभी अधिकार क्षेत्र में धोखाधड़ी के मामलों की जांच करने के लिए पर्याप्त टीम नहीं है. इसे आयुक्तालय कहा जाता है. संसदीय पैनल को जानकारी दी गई कि इस तरह की कर चोरी को रोकने के लिए वित्त मंत्रालय ने उन मामलों में कर—मुक्त दावों की सीधे जांच करने के लिए अपनी प्रणाली तैयार की है. यहां कृषि आय 10 लाख रुपए से अधिक दिखाई जाती है.
50 हजार करोड़ रुपये तक का वार्षिक टैक्स रेवेन्यू
विशेषज्ञों की राय है कि भारत के अधिकांश किसान गरीब हैं और उन्हें कर में छूट मिलनी चाहिए. मगर बड़े और धनी किसानों पर टैक्स न लगाया जाए, इसका कोई कारण नहीं है. नीति आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक यदि कृषि से होने वाली आय के लिए शीर्ष 0.04 प्रतिशत बड़े किसान परिवारों के साथ-साथ कृषि कंपनियों को 30 प्रतिशत टैक्स ब्रैकेट के दायरे में लाया जाता है तो सरकार को 50 हजार करोड़ रुपये तक का वार्षिक टैक्स रेवेन्यू प्राप्त हो सकता है.
HIGHLIGHTS
- कृषि से अर्जित आय बताकर मौजूदा आयकर कानूनों के तहत टैक्स में छूट पा जाते हैं.
- लोक लेखा समिति ने गत 5 अप्रैल को संसद में अपनी 49वीं रिपोर्ट जारी की थी