सुप्रीम कोर्ट में निजता के अधिकार पर चल रही सुनवाई गुरुवार को भी जारी रहेगी। 9 सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस प्रश्न पर सुनवाई कर रही है कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है या नहीं। यह सवाल आधार कार्ड योजना की वैधता को चुनौती देने के संबंध में महत्वपूर्ण है।
सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की संविधान पीठ इस पर विचार कर रही है क्या निजता का अधिकार मूल अधिकार है?
इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए पूर्व सॉलिसीटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम ने दलील दी है कि, 'जीने और स्वतंत्रता का अधिकार पहले से मौजूद ऐसे मौलिक अधिकार है, जिनको समय आने पर हमारे संविधान ने भी अपनाया है। अब सवाल ये है क्या कोई शख्स बिना निजता के, अपनी आजादी का मजा उठा सकता है। संविधान में दिए गए मूल अधिकार से मिली आजादी को हम बिना अपनी प्राइवेसी के कैसे कायम रह सकते है। निजता स्वतन्त्रता का अहम हिस्सा है'
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वहीं, सोली सोराबजी ने दलील दी कि, 'निजता के अधिकार का संविधान में उल्लेख न होने का ये मतलब नही कि ये अधिकार संविधान का हिस्सा ही नही। इसे संविधान में दिए गए दूसरे प्रावधानों की कसौटी पर आंका जाना चाहिए।'
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जे.एस. खेहर की अध्यक्षता में 9 न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ 1954 और 1962 के दो फैसलों के संदर्भ में निजता के अधिकार मामले की सुनवाई कर रही है। आधार कार्ड से जुड़े मामले में इसकी समीक्षा बेहद ज़रुरी है।
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न्यायमूर्ति खेहर के अलावा नौ सदस्यीय पीठ में न्यायमूर्ति चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे, न्यायमूर्ति आर.के. अग्रवाल, न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन, न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे, न्यायमूर्ति डी.वाय. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर हैं।
इससे पहले मंगलवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को 9 सदस्यीय संवैधानिक पीठ को यह मामला सौंपा था।
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Source : News Nation Bureau