एलएसी (LAC) पर भारत और चीन के बीच भले ही तनाव कम होने लगा है. मगर चीन की चालबाजी से रूबरू भारत अपनी रणनीति पर काम कर रहा है. चीनी सरहद से सटे लद्दाख (Ladakh) के इलाकों में भारत सड़कों के निर्माण में तेजी लाने की तैयारी कर चुका है. मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) ने लद्दाख सहित सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा से जुड़ी निर्माणाधीन विभिन्न परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की.
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इस बैठक के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्विटर पर कहा, 'सीमा सड़क संगठन की जारी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की एक बैठक में समीक्षा की गई. बीआरओ सराहनीय कार्य कर रहा है. सीमावर्ती क्षेत्रों में रणनीतिक सड़कों, पुलों और सुरंगों के निर्माण में तेजी लाई जाएगी. बीआरओ इस लक्ष्य के लिए दृढ़ता से काम कर रहा है.'
उधर, आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस बैठक में लद्दाख क्षेत्र सहित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास बुनियादी ढांचे से संबंधित जारी परियोजनाओं की स्थिति को प्रमुखता से उठाया गया. इस क्षेत्र में 5 मई को गतिरोध शुरू होने के बाद, सरकार ने बीआरओ को पूर्वी लद्दाख में अपनी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को जारी रखने के लिए कहा था. इस बैठक में रक्षा सचिव अजय कुमार और मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए.
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गौरतलब है कि सीमावर्ती इलाकों में सभी निर्माण का जिम्मा बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) पर है. मंगलवार को बैठक में रक्षा मंत्री ने बीआरओ के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सभी प्रोजक्ट के रिव्यू लिए और निर्माण कार्य में तेजी लाने की बात कही. बैठक में एलएसी के अलावा एलओसी पर भी निर्माण कार्यों का रिव्यू किया गया. बता दें कि भारत सिर्फ चीन बॉर्डर के पास ही कई दर्जन पुलों का निर्माण कर रहा है. एलएसी के पास सामरिक पुल और सड़कें बनाने का काम भी युद्ध स्तर पर चल रहा है.
भारत के इन्हीं सड़क निर्माणों से चीन परेशान है. चीन ने गलवान घाटी में जो धोखा दिया, जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे, यही उसकी बौखलाहट थी. भारत दौलत बेग तक सड़क नेटवर्क को मजबूत करने में लगा है, जिससे चीन को यह डर सता रहा है कि इससे कहीं उसके वन बेल्ट प्रोजेक्ट पर अड़ंगा न लग जाए. क्योंकि तब भारतीय फौज बड़ी ही आसानी से यहां आ जाएगी.
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