सड़क सुरक्षा निकाय इंटरनेशनल रोड फेडरेशन (आईआरएफ) ने केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण से हेलमेट को जीएसटी-मुक्त बनाने का आग्रह किया है, यानी दोपहिया सवारों के लिए जीवन रक्षक परिधानों पर शून्य प्रतिशत जीएसटी की मांग की गई है, जो इस समय 18 प्रतिशत है.
के.के. कपिला, अध्यक्ष एमेरिटस, इंटरनेशनल रोड फेडरेशन (आईआरएफ) ने केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को एक पत्र लिखा है- सड़क यातायात दुर्घटनाएं एक वैश्विक खतरा है और कुल मौतों में लगभग 11 प्रतिशत भारत में होगी हैं. आंकड़े मोटे तौर पर बताते हैं कि हर साल लगभग 500,000 सड़क यातायात दुर्घटनाएं होती हैं, जिसके परिणामस्वरूप 150,000 से अधिक मौतें होती हैं और 5 लाख से ज्यादा लोग घायल होते हैं, कुछ स्थायी अक्षमता का कारण बनते हैं. इनमें से एक बड़ा हिस्सा 18 से 45 वर्ष की आयु वर्ग का है, जो किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए सबसे अधिक उत्पादक आबादी है. दोपहिया सवार हादसों में मुख्य रूप से सिर की चोटों के कारण होने वाली मौतों का एक बड़ा हिस्सा हैं.
कपिला ने कहा, दोपहिया दुर्घटना चोटों और मृत्यु दर को कम करने के लिए सबसे प्रभावी उपायों में से एक मानक हेलमेट का उपयोग है. हमारे देश में हेलमेट का उपयोग कम पाया गया है. हमारा देश यातायात दुर्घटनाओं, चोटों और मौतों के बढ़ते बोझ का सामना कर रहा है. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के परिवहन अनुसंधान विंग की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में भारत भर में 480,652 सड़क दुर्घटनाओं में से कुल 151,113 लोगों की मौत हुई. सड़क हादसों में होने वाली कुल मौतों में 31.4 प्रतिशत दुपहिया चालक हैं.
उन्होंने कहा, यह देखा गया है कि अधिकांश दोपहिया वाहन चालक आर्थिक रूप से कमजोर और निम्न आय वर्ग में आते हैं और ऐसे हेलमेट खरीदना पसंद करते हैं जो सस्ते और गुणवत्ता में घटिया हों. इनमें से अधिकांश हेलमेट बाइक सवार की जान बचाने में सक्षम नहीं होते हैं.
कपिला ने कहा, इस समय हेलमेट पर जीएसटी की लागू दर 18 प्रतिशत है जो एक जीवन रक्षक उपकरण है. सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार,2025 तक सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को 50 प्रतिशत तक कम करने के लिए हेलमेट पर जीएसटी नहीं होना चाहिए. यह आम लोगों के लिए मानक हेलमेट को और अधिक किफायती बनाने में मदद करेगा और उन्हें घटिया गुणवत्ता के हेलमेट खरीदने से हतोत्साहित करेगा. इससे न केवल दोपहिया सवारों की सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को कम करने में मदद करेगा, बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था में सड़क दुर्घटनाओं के कारण सकल घरेलू उत्पाद के नुकसान को कम करने में भी मदद करेगा.
Source : IANS