पुरूषवादी समाज में रोहित शेखर ने एक ऐसा कदम उठाया था जो बेहद ही कम लोग कर पाते हैं, अपने नाम के आगे से 'नाजायज़' शब्द हटाने और अपनी मां को इंसाफ दिलाने के लिए अदालत की तरफ रूख किया. रोहित शेखर एक ऐसा शख्स जिसने अदालती जंग में यूपी और उत्तराखंड के पूर्व सीएम नारायण दत्त तिवारी का नाजायज़ बेटा होने का केस जीता था. रोहित शेखर अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन खुद को नारायण दत्त का बेटा साबित करने की उसकी लड़ाई को हमेशा याद की जाएगी. रोहित शेखर 7 साल तक कांग्रेस के प्रभावशाली नेता नारायण दत्त तिवारी के खिलाफ पितृत्व का केस लड़ा और जीता.
स्वर्गीय रोहित शेखर कई बार मीडिया से कह चुके थे कि शायद मैं दुनिया का पहला आदमी हूं जिसने ख़ुद को नाजायज़ साबित होने के लिए मुकदमा लड़ा. भारत का पितृसत्तात्मक समाज मुझे या मेरी मां को स्वीकार करने को तैयार नहीं था. लेकिन मैंने ये लड़ाई लड़ी.
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साल 2008 में रोहित शेखर ने एनडी तिवारी को अपना जैविक पिता बताते हुए मुकदमा कर दिया था. अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए तिवारी को ये आदेश दिया कि वह डीएनए टेस्ट के लिए अपने खून का सैंपल दें. 2011 में कोर्ट की निगरानी में एनडी तिवारी को जांच के लिए अपना खून देना पड़ा था. जांच हैदराबाद के सेंटर फोर डीएनए फिंगरप्रिंटिंग एंड डायएग्नोस्टिक्स में हुई थी. डीएनए रिपोर्ट में यह साफ हो गया कि एनडी तिवारी ही रोहित शेखर के बायोलॉजिकल पिता और उज्ज्वला शर्मा उनकी बायोलॉजिकल मां है.
मई 2014 में आखिरकार रोहित शेखर के नाम के आगे नाजायज़ शब्द हट गया जब अदालत ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया. हालांकि इस लड़ाई में रोहित शेखर के बहुत पैसे लग गए थे और साथ ही साथ हेल्थ भी प्रभावित हुआ था. जब उन्होंने एनडी तिवारी के खिलाफ मुकदमा दायर किया था तब दबाव के चलते उन्हें दिल का दौरा पड़ गया था. जिसकी वजह से उनकी सेहत काफी वक्त तक प्रभावित रही.
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कोर्ट के फैसले के बाद विधुर एनडी तिवारी ने उज्जवला शर्मा से शादी कर ली. हालांकि रोहित शेखर अपनी मां की शादी में नहीं गए, लेकिन वो अपनी मां के लिए बहुत खुश थे.
वर्तमान में 40 साल के रोहित शेखर दिल्ली के डिफेंस कॉलोनी में अपनी मां और पत्नी के साथ रहते थे. रोहित शेखर बीजेपी में शामिल हो गए थे. लेकिन उनका राजनीतिक सफर कोई मुकाम हासिल कर पाता उससे पहले दिल का दौरा पड़ने से आज (16 अप्रैल) को निधन हो गया.
Source : NITU KUMARI