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RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा- 'आस्था कभी अंधी नहीं होती, अंग्रेजों ने इसे खत्म करने के सुनियोजित प्रयास किए'

RSS प्रमुख मोहन भागवत अक्सर अपने बयानों के लिए सुर्खियों में रहते हैं. आज यानी शनिवार को लेखक जीबी देगलुरकर की बुक लॉन्च के मौके पर मोहन भागवत ने बड़ा बयान दिया.

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Ajay Bhartia
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मोहन भागवत (फाइल फोटो)( Photo Credit : Social Media)

Mohan Bhagwat on faith: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत अक्सर अपने बयानों के लिए सुर्खियों में रहते हैं. आज यानी शनिवार को लेखक जीबी देगलुरकर की बुक लॉन्च के मौके पर मोहन भागवत ने बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि 1857 के बाद बाद अंग्रेजों ने जब औपचारिक रूप से भारत पर शासन करना शुरू किया तो उन्होंने देशवासियों के मन से आस्था को खत्म करने के लिए सुनियोजित प्रयास किए. साथ ही उन्होंने बताया कि आस्था कभी अंधी नहीं होती है.

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'जो आस्था थी, अंग्रेजों ने खत्म...'

आस्था के मुद्दे पर आगे बोलते हुए मोहन भागवत ने कहा कि हमारी अपनी परंपराओं और पूर्वजों में जो आस्था थी, उसे अंग्रेजों ने खत्म कर दिया. कुछ प्रथाएं और रीति-रिवाज जो चले आ रहे हैं, वे विश्वास हैं. कुछ अंधविश्वास भी होता है, लेकिन आस्था कभी अंधी नहीं होती. कुछ गलत हो सकता है, तो उसे बदलने की जरूरत है. देशवासियों की जो आस्था उनकी परंपराओं और पूर्वजों में थी, उसे अंग्रेजों ने देशवासियों के दिमाग से खत्म करने के लिए पूरी प्लानिंग के साथ काम किया.

'मूर्तियों के पीछे भी एक विज्ञान है'

आरएसएस चीफ ने मूर्ति पूजा, मूर्तियों के पीछे के विज्ञान और राक्षसी प्रवृत्ति पर भी खुलकर अपने विचार रखे. उन्होंने कहा कि मूर्तियों के पीछे एक विज्ञान छिपा हुआ है. भारत में मूर्ति पूजा होती है, जो आकार से परे जाकर निराकर से जुड़ती है. भागवत ने आगे बताया कि हर किसी के लिए निराकार तक पहुंचना संभव नहीं है, इसलिए मूर्तियों के रूप में एक आकार बनाया जाता है. मूर्तियों के पीछे भी एक विज्ञान है. भारत में मूर्तियों के चेहरे पर भावनाएं अंकित होती हैं, जो दुनिया में और कहीं नहीं मिलतीं.

'हर चीज को हाथ में रखना चाहते हैं राक्षस'

वहीं राक्षसों की मूर्तियों को लेकर भागवत ने कहा कि राक्षसों की मूर्तियों में दिखाया गया है कि वे किसी भी चीज को अपनी मुट्ठी में कसकर पकड़ लेते हैं. उन्होंने बताया कि असल में राक्षसों की प्रवृत्ति ही हर चीज को अपने हाथ में रखने की होती है. राक्षसों की सोच होती है कि वो अपनी मुट्ठी में उन चीजों की रक्षा करेंगे, इसलिए वे राक्षस हैं. वहीं, भगवान की मूर्तियां कमल की तरह धनुष भी धारण करती हैं. साकार से निराकार की ओर जाने के लिए एक दृष्टि होनी चाहिए. जो लोग आस्था रखते हैं, उनके पास दृष्टि होगी. 

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Source : News Nation Bureau

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