मोहन भागवत बोले, Bharat होना यानी भारत के स्वभाव को स्वीकार करना

अखंड भारत पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के चीफ मोहन भागवत ने बुधवार को बड़ा बयान दिया है. उन्होंने महाराष्ट्र के नागपुर में एक सवाल के जवाब में कहा कि जो लोग भारत से अलग हुए उन्हें लगता है कि उन्होंने गलती की है. भारत होना यानी भारत के स्वभाव को स्वीकार करना है.

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Deepak Pandey
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आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत( Photo Credit : ANI)

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अखंड भारत पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के चीफ मोहन भागवत ने बुधवार को बड़ा बयान दिया है. उन्होंने महाराष्ट्र के नागपुर में एक सवाल के जवाब में कहा कि जो लोग भारत से अलग हुए उन्हें लगता है कि उन्होंने गलती की है. भारत होना यानी भारत के स्वभाव को स्वीकार करना है. भागवत ने कहा कि कब तक अखंड भारत बनेगा ये तो मैं नहीं बता सकता हूं. इसके लिए ग्रह ज्योतिष देखना पड़ेगा. ऐसे तो मैं जानवरों का डॉक्टर हूं, लेकिन आप ये करने जाएंगे तो बूढ़े होने से पहले आपको जरूर दिख जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि एक बार फिर हमको भारत होना चाहिए. वे लोग मानते हैं कि भारत होना मतलब नक्शे की रेखाओं को पोछ डालना, लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है. ये सिर्फ उन लोगों से नहीं होगा. 

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मोहन भागवत ने आगे कहा कि हमारे यहां जो रिजर्वेशन दिया गया है वो देश में सामाजिक विषमता का इतिहास रहा है. हमने सामाजिक व्यवस्था के तहत समाज के लोगों को पीछे रखा है. हमने उनकी चिंता नहीं की और ये 2000 वर्षों चला आ रहा है. जन्म से जातपात नहीं माननी चाहिए, लेकिन अब ये विकट स्थिति में पहुंच गया है. उनको बराबरी में लाने के लिए उनके लिए कुछ विशेष उपाय करने पड़ेंगे. अगर घर में दूध कम आता है तो सबको दूध नहीं मिल पाता है, लेकिन बीमार व्यक्ति को जरूर मिलता है. ऐसे में जब तक भेदभाव है तबतक आरक्षण लागू रहना चाहिए. हमको यह देखना चाहिए कि इन बंधुओं को बराबरी में लाने में अपना योगदान होना चाहिए. आज दिखता नहीं है, लेकिन वो भेदभाव आज भी है. 

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मोहन भागवत ने आगे कहा कि जन्म से जातपात नहीं माननी चाहिए, लेकिन अब ये विकट स्थिति में पहुंच गया है. उनको बराबरी में लाने के लिए उनके लिए कुछ विशेष उपाय करने पड़ेंगे. अगर घर में दूध कम आता है तो सबको दूध नहीं मिल पाता है, लेकिन बीमार व्यक्ति को जरूर मिलता है. ऐसे में जब तक भेदभाव है तबतक आरक्षण लागू रहना चाहिए. हमको यह देखना चाहिए कि इन बंधुओं को बराबरी में लाने में अपना योगदान होना चाहिए. आज दिखता नहीं है, लेकिन वो भेदभाव आज भी है. हिंदू समाज में सब के लिए मंदिर, श्मशान घाट, पानी एक होना चाहिए. 

Source : News Nation Bureau

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