पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने सोमवार को दावा किया कि अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए कानून की आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की मांग साबित करती है कि संघ कभी नहीं बदलेगा भले ही वह प्रख्यात लोगों को अपने कार्यक्रमों में आमंत्रित कर अपनी छवि सुधारने की कितनी भी कोशिश क्यों न कर लें.
कर्ज से लदी कंपनी आईएल एंड एफएस का सरकार द्वारा अधिग्रहण किए जाने के स्पष्ट संदर्भ में, यशवंत सिन्हा ने कहा कि देश 'भुगतान संकट' का सामना कर रहा है क्योंकि जीवन बीमा निगम के माध्यम से एनबीएफसी और बैंकों को 'उबारने' के लिए सार्वजनिक धन का 'दुरुपयोग' किया जा रहा है.
अकोला जाने के क्रम में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पूर्व बीजेपी नेता ने संसदीय कानून की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख की मांग की वैधता पर सवाल उठाया. वह मंगलवार को अकोला में किसानों की एक रैली को संबोधित करेंगे.
उन्होंने कहा, 'जब उच्चतम न्यायालय में इस मुद्दे पर सुनवाई की जा रही है तो संसद से कानून कैसे पारित किया जा सकता है.'
उन्होंने कहा, 'इसका (भागवत के बयान का) अर्थ है कि आप उच्चतम न्यायालय को अपना फैसला सुनाने से रोकना चाहते हैं. हालांकि मैंने भाजपा छोड़ दी है लेकिन (मुझे पता है) बीजेपी का रुख यह है कि इस मुद्दे का हल आम सहमति से या अदालत के फैसले के माध्यम से किया जाना चाहिए.'
सिन्हा ने कहा कि इस मामले की सुनवाई न्यायालय में हो रही है और उन्हें फैसले का इंतजार करना चाहिए.
सिन्हा ने कहा कि आरएसएस ने अपनी छवि में सुधार के प्रयासों के तहत पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, रतन टाटा और अन्य को आमंत्रित किया. लेकिन आरएसएस प्रमुख का बयान साबित करता है कि यह (संगठन) कभी नहीं बदलेगा.
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में बीजेपी और कांग्रेस को कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने कहा, 'यह कहना कठिन है कि कौन जीतेगा.'
राजस्थान में बीजेपी की संभावनाओं के बारे में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए सिन्हा ने उस राज्य के एक निवासी के साथ अपनी बातचीत का हवाला दिया.
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उन्होंने कहा, 'उस व्यक्ति की राय था कि भाजपा राजस्थान में हार जाएगी.'
Source : News Nation Bureau