हिंदुओं की आस्था के केंद्र मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने के लिए आरएसएस राज्यवार रणनीति बनाएगा. इस मुहिम में संघ स्थानीय जनमानस को भी जोड़ेगा. प्राप्त जानकारी के मुताबिक कर्नाटक के धारावाड़ में संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल (एबीकेएम) की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई. बैठक में तय हुआ की राज्य की स्थिति के अनुसार स्थानीय संगठन अपने स्तर पर मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने की रणनीति तय करेंगे और फिर उस दिशा में आगे बढ़ेंगे. गौरतलब है कि नागपुर में दशहरे पर अपने संबोधन में सरसंघचालक मोहन भागवत ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था. गौरतलब है कि दक्षिण के तिरुपति तिरुमला मंदिर समेत देशभर में लगभग चार लाख मंदिर सरकारी नियंत्रण में हैं.
मोहन भागवत ने कहा था कि हिंदू मंदिरों की आज की स्थिति को लेकर कई तरह के प्रश्न है. दक्षिण भारत के मंदिर पूर्णतः वहां की सरकारों के अधीन हैं जिनकी मंदिरों में आस्था नहीं है उन लोगों पर भी मंदिरों का धन खर्च हो रहा है. इस कड़ी में एबीकेएम की बैठक में इस मसले का उठना एक महत्वपूर्ण कदम है. संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के अनुसार बैठक में यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया. संघ से जुड़े कई राज्यों के पदाधिकारियों ने अपने यहां के ऐसे मंदिरों पर चर्चा की. हर राज्य की परिस्थितियां अलग है.
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परस्पर बातचीत में सामने आया कि दक्षिण के राज्यों के मंदिर सरकार के पूर्ण नियंत्रण में हैं. किसी राज्य में न्यास तो कई स्थानों पर यह निजी हाथों में हैं. हर राज्य में नियंत्रण की अलग-अलग परिस्थितियां हैं. बैठक में तय हुआ ऐसे में कि इसे लेकर संगठन की कोई राष्ट्रीय रणनीति तय करने की जगह यह जिम्मा राज्य इकाई को दे दिया जाएं. वे अपने यहां की परिस्थिति के अनुसार रणनीति बनाएं. साथ ही उसमें आम जनमानस को सहभागी बनाएं, क्योंकि यह समाज का मुद्दा है. संघ के सूत्रों के मुताबिक अयोध्या में राम मंदिर के बाद संघ ने सरकारी नियंत्रण वाले मंदिरों को मुक्त कराने का मुद्दा थामा है और क्रमवार तरीके से इस पर आगे बढ़ रहा है.
HIGHLIGHTS
- देशभर में लगभग चार लाख मंदिर सरकारी नियंत्रण में हैं
- ऐसे मंदिरों को सरकारी कब्जे से मुक्त कराने की रणनीति
- सरसंघचालक मोहन भागवत ने दशहरे पर दिए थे संकेत