मोदी सरकार ने 10 केंद्रीय एजेंसियों को किसी भी कंप्यूटर सिस्टम में रखे गए सभी डेटा की निगरानी करने और उन्हें देखने के अधिकार दिया है, जिसके लेकर विपक्षी पार्टियों ने विरोध किया. लेकिन सूचना के अधिकार (RTI) के तहत यह खुलासा हुआ है कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की सरकार के दौरान भी ऐसे काम हुए थे. यूपीए सरकार के दौरान 9,000 से ज्यादा कॉल्स टैप की गई थीं. साल 2013 के अगस्त में गृह मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार यूपीए सरकार हर महीने 300 से 500 ईमेल्स के इंटरसेप्शन के आदेश जारी करती थी.
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समाचार एजेंसी ANI के अनुसार 6 अगस्त 2013 को प्रसेनजीत मंडल को सूचना के अधिकार के तहत पूछे गए सवाल के जवाब में यह जानकारी दी गई. वहीं साल 2013 के नवंबर में RTI के तहत दायर आवेदन में लॉफुल इंटरसेप्शन की निगरानी के लिए अधिकृत एजेंसियों की सूची भी मांगी गई थी.
इसके अलावा दिसंबर, 2013 में ही अमृतानंद देवतीर्थ की भी ऐसी ही एक आरटीआई के जवाब में गृह मंत्रालय ने बताया था कि टेलीग्राफ एक्ट के तहत केंद्रीय जांच एजेंसियों को फोन कॉल और ई-मेल इंटरसेप्शन के अधिकार दिए गए हैं. ये अधिकार केंद्र की 10 एजेंसियों के पास हैं जिनमें इंटेलिजेंस ब्यूरो, नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, रेवेन्यू इंटेलिजेंस, सीबीआई, एनआईए, रॉ, डायरेक्टरेट ऑफ सिग्नल इंटेलिजेंस और दिल्ली पुलिस के आयुक्त शामिल हैं.
Source : News Nation Bureau