शनिवार को तमिलनाडु विधानसभा में मुख्यमंत्री पलानीसामी को बहुमत साबित करने के दौरान विधानसभा में जबरदस्त हंगामे के बाद तोड़-फोड़ शुरू हो गई। स्पीकर के सामने वाली टेबल-कुर्सियां तोड़ दी गई। साथ ही तमिलनाडु विधानसभा के प्रेस कक्ष में रखे ऑडियो स्पीकर का कनेक्शन भी काट दिया गया। इस दौरान एक अधिकारी भी घायल हो गया, जिसे एंबुलेंस बुलाकर अस्पताल में भर्ती कराया गया।
इससे पहले पलानीसामी ने गुरुवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। जिसके बाद राज्यपाल ने उन्हें शक्ति परीक्षण के लिए 15 दिनों का वक़्त दिया था।
मुख्यमंत्री पलानीसामी ने 2 दिन बाद ही विधानसभा का खास सत्र बुलाकर अग्निपरीक्षा से गुज़रने का फ़ैसला किया। लेकिन बहुमत साबित करने के दौरान जो कुछ हुआ वो बेहद शर्मनाक है।
आइए एक नज़र डालते हैं जब इससे पहले भी देश के बाकी राज्यों में विधानसभा के अन्दर लोकतंत्र की मर्यादा तार-तार हुई।
8 फरवरी 2017
चंपदानी से कांग्रेस विधायक मन्नान पश्चिम बंगाल लोक व्यवस्था अनुरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2017 का विरोध कर रहे थे। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष के निर्देशों को न मानते हुए इसे 'काला कानून' बताया। मन्नान से अध्यक्ष ने दिन भर के लिए सदन से बाहर चले जाने को कहा लेकिन उन्होंने बात नहीं मानी। इसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया।
जैसे ही अध्यक्ष ने उन्हें सदन से निलंबित किया, मन्नान अध्यक्ष के आसन के सामने बैठ गए इस पर मार्शलों ने उन्हें जबरन सदन से बाहर निकालने की कोशिश की। इसके बाद कांग्रेसी विधायकों और सुरक्षाकर्मियों में झड़प शुरू हो गई।
1 फरवरी 2017
अनुच्छेद 370 को लेकर जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की कथित टिप्पणी को लेकर शुरू हुआ विवाद बढ़ गया। उनके बयान के विरोध में राज्य की विधानसभा में भारी हंगामा हुआ। जम्मू-कश्मीर विधानसभा की कार्यवाही के दौरान सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्ष के नेताओं में हंगामा हुआ और विरोधी दलों की झड़पों में सदन का एक मार्शल घायल हो गया है। हंगामे के दौरान सदन के फर्नीचर से तोड़फोड़ की गई और एक माइक को उखाड़ कर फेंक दिया गया जो एक मार्शल के सिर पर जाकर लगा। घायल मार्शल को इलाज के लिए ले जाया गया और अध्यक्ष ने हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी।
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15 नवम्बर 2016
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने नोटबंदी को लेकर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया। इस दौरान सीएम केजरीवाल ने कहा कि नोटबंदी से देश में दहशत का माहौल है। केजरीवाल ने आरोप लगाया कि पनामा पेपर्स में नरेंद्र मोदी के दोस्तों के नाम हैं। जब भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता ने इसका विरोध किया तो स्पीकर ने उन्हें मार्शलों की मदद से बाहर निकालने का आदेश दिया।
23 अगस्त 2016
सदन की कार्यवाही शुरू होते ही मुख्य विपक्षी बसपा के साथ-साथ भाजपा, राष्ट्रीय लोकदल और अपना दल के सदस्य बैनर और तख्तियां लेकर सदन के बीचों-बीच आकर हंगामा करने लगे। बसपा सदस्यों ने 'दलितों पर अत्याचार नहीं चलेगा, नहीं चलेगा' और कुछ अन्य नारे लिखी टोपियां पहनी थीं। वहीं, भाजपा ने कानून-व्यवस्था, बिजली और महिला सुरक्षा के मुद्दों को नारेबाजी के जरिए उठाया।
रालोद सदस्यों ने भी गन्ना किसानों का बकाया भुगतान नहीं होने का मुद्दा उठाया। विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय ने शोरगुल कर रहे सदस्यों से अपने-अपने स्थान पर बैठने का आग्रह किया, लेकिन हंगामा नहीं थमा। इस बीच, हंगामा करने वाले सदस्यों को सदन से बाहर करने का प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित किया गया और मार्शल को बुला कर उन्हें बाहर कर दिया गया।
10 जून 2016
विधानसभा में विजेंद्र गुप्ता ने शीला सरकार के वक्त हुए टैंकर घोटाले का मुद्दा उठाया। भाजपा नेता ने कहा कि दिल्ली सरकार शीला दीक्षित को बचाने का काम रही है। इस बीच भाजपा नेता के आरोप पर पलटवार करते हुए सीएम केजरीवाल ने कहा कि मोदी सरकार ने उनसे एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) छीन लिया है। जिसके बाद सारी मर्यादाओं को ताक पर रखते हुए सदन में नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता मेज पर खड़े हो गए।
5 अक्टूबर, 2015
जम्मू-कश्मीर विधानसभा गोमांस के मसले पर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। बात इतनी आगे बढ़ी कि निर्दलीय विधायक इंजीनियर रशीद और बीजेपी विधायकों के बीच हाथापाई हो गई।
13 मार्च, 2015
केरल विधानसभा विधानसभा के बजट सत्र के दौरान तत्कालीन वित्त मंत्री केएम मणि को मार्शलों के घेरे में बजट पेश किया। मणि पर भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते विपक्षी बीजेपी और एलडीएफ ने उन्हें बजट ना पेश करने देने का ऐलान किया था। जैसे ही मणि ने बजट पढ़ना शुरू किया, विपक्षी सदस्यों ने धक्कामुक्की शुरू कर दी। हंगामे के दौरान विधानसभा अध्यक्ष एन. शकतान की कुर्सी और कंप्यूटर तोड़ दिए गए। हाथापाई में 2 विधायकों को चोटें आईं।
10 नवंबर 2009
महाराष्ट्र विधानसभा 2009 में महाराष्ट्र विधानसभा की बैठक विधायकों के शपथ ग्रहण के लिए बुलाई गई थी। समाजवादी पार्टी के एमएलए अबु आजमी का हिंदी में शपथ लेना एमएनएस के चार विधायकों को इतना नागवार गुजरा कि वो हिंसा पर उतारू हो गये। तस्वीरें मीड़िया की सुर्खियों में छा गईं। चारों विधायकों को 4 साल के लिए सस्पेंड कर दिया गया।
22 अक्टूबर 1997
यूपी विधानसभा में कल्याण सिंह के विश्वास मत साबित करने के दौरान हाथापाई शुरु हो गई थी। बात यहीं जाकर ख़त्म नहीं हुई, विधायकों ने एक दूसरे पर जमकर माइक और जूते फेंके। कई विधायकों को चोट भी आई।
25 मार्च, 1989
तमिलनाडु विधानसभा में बजट पेश होने के दौरान डीएमके और एडीएमके सदस्यों के बीच झगड़ा हुआ और बात हाथापाई तक पहुंच गई। हंगामे के दौरान दुर्गा मुरुगन ने जयललिता के कपड़े फाड़ने की कोशिश की। हंगामें के दौरान करुणानिधि का चश्मा टूट गया, जिसके बाद गुस्साए विधायकों ने बजट की कॉपी ही फाड़ दी।
जनवरी, 1988
जनवरी 1988 में जानकी रामचंद्रन ने भी इसी तरह विश्वास मत के लिए सत्र बुलाया था। वो पति एमजीआर के निधन के बाद सीएम बनी थीं लेकिन पार्टी के ज्यादातर एमएलए जयललिता के साथ थे। कांग्रेस ने जानकी के समर्थन का निर्णय लिया, उनके पास कुल 60 विधायक थे। इसके विरोध में कुछ विधायकों ने इस्तीफा दे दिया जिससे जानकी सरकार बचाई जा सके। इसी खींचतान के बीच विधानसभा में माइक और जूते चलने शुरु हो गए। बाद में पुलिस ने सदन के भीतर लाठीचार्ज कर मामले को शांत किया।
Source : Deepak Singh Svaroci