अयोध्या (Ayodhya) में भगवान श्री राम की भव्य मंदिर की तैयारियां तेज हो गई हैं. मंदिर निर्माण से पहले आज अयोध्या में मंदिर परिसर के पास कुबेर टीले पर शिवलिंग का रुद्राभिषेक किया गया. राम जन्मभूमि परिसर में कुबेर टीला पर भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है. आज उसी मंदिर में सुबह 8 बजे से विशेष पूजा अर्चना की गई. महंत कमल नयन दास ने अन्य पुजारियों के साथ कुबेर टीला पर शिवलिंग का रुद्राभिषेक किया. यह धार्मिक अनुष्ठान कम से कम दो घंटे तक चला और उसके बाद अब राम मंदिर (Ram Mandir) की नींव रखने के साथ ही भव्य राम मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा.
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रुद्राभिषेक को लेकर रामलला के मुख्य पुजारी का कहना है कि विघ्न बाधाओं को दूर करने के लिए परिसर में लगातार पूजा अर्चना की जा रही है. मंदिर निर्माण की तारीख को लेकर सतेंद्र दास ने न्यूज़ नेशन से बातचीत में कहा कि मंदिर की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रखेंगे. वैसे में कोशिश है कि जून महीने में ही पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों मंदिर की आधारशिला रखने के बाद निर्माण कार्य शुरू हो जाय. वहीं सूत्रों के मुताबिक, जल्द राममंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे और उन्हें राममंदिर के शिलान्यास के लिए अयोध्या आने का निमंत्रण देंगे.
We'll be meeting PM soon; date not fixed yet. These days PM isn't participating in any event due to #COVID19 outbreak, else he would've laid foundation stone of #RamMandir long back:Mahant KN Das,spokesperson of Mahant NG Das,President of Shri Ram Janambhoomi Teerth Kshetra Trust pic.twitter.com/K2I6nS2r6O
— ANI UP (@ANINewsUP) June 10, 2020
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कारसेवक पुरम में राम मंदिर के लिए पत्थरों की सफाई शुरू
योध्या में मंदिर निर्माण के लिए कारसेवक पुरम में रखे पत्थरों की सफाई का काम शुरू हो गया है. सैलून से कारसेवक पुरम में रखे पत्थरों पर काई जम गई है. जिसे हटाने के लिए कारीगर बुलाये गए हैं. जल्द ही अयोध्या में मंदिर निर्माण का कार्य शुरू होने वाला है. कारसेवकपुरम में रखे पत्थर प्रस्तावित राम मंदिर में लगने हैं.
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उल्लेखनीय है कि पिछले साल नवंबर में उच्चतम न्यायालय ने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में राम मंदिर के निर्माण के लिए मार्ग प्रशस्त करते हुये रामजन्मभूमि स्थल को मंदिर निर्माण के लिए आवंटित करने का आदेश दिया था. मार्च में राम लला की मूर्ति को स्थल पर बने अस्थायी मंदिर से नए स्थान पर ले जाया गया. 11 मई को स्थल को समतल करने के लिए मशीन तैनात की गई थी.
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