यूक्रेन युद्ध में फंसे रूस ने अपने पुराने मित्र भारत से मदद की गुहार लगाई है. अमेरिका और पश्चिमी देशों के प्रतिबंध झेल रहा रूस इन दिनों गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है. ऐसे में इन हालात से मुकाबले के लिए रूस ने भारत से तेल और गैस क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की अपील की है. गौरतलब है कि 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस की अर्थव्यवस्था इस वक्त सबसे बड़े संकट का सामना कर रही है.
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न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक रूस ने भारत से अपील की है कि वह प्रतिबंध से प्रभावित मॉस्को के तेल और गैस क्षेत्र में अपना निवेश बढ़ाएं. गौरतलब है कि रूस एशिया के तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश भारत में रूसी कंपनियों की बिक्री नेटवर्क का विस्तार करने का इच्छुक है. रूस के उप प्रधानमंत्री एलेक्जेंडर नोवाक के मुताबिक भारत को रूस इस वक्त 1 बिलियन डॉलर के करीब तेल और पेट्रोलियम उत्पाद का निर्यात करता है. उन्होंने कहा कि इस आंकड़े को बढ़ाने के स्पष्ट अवसर हैं. नोवाक ने केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी के साथ हुई बातचीत के दौरान कहा कि हम रूसी तेल और गैस क्षेत्र में भारतीय निवेश को और आकर्षित करने और भारत में रूसी कंपनियों के बिक्री नेटवर्क का विस्तार करने में रुचि रखते हैं.
भारत के लिए लाभ उठाने का है अच्छा मौका
दरअसल, यूक्रेन पर रूसी हमले के खिलाफ अमेरिका ने रूसी तेल आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है. वहीं, अमेरिका का साथ देते हुए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भी रूस पर तेल प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है. जॉन्सन ने कहा है कि वह इस साल के आखिर तक चरणों में रूस से तेल आयात पर प्रतिबंध लगाएगा. गौरतलब है कि रूस कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है. ऐसे में अमेरिका और यूरोपीय देशों के फैसलों से वैश्विक ऊर्जा बाजार में कच्चे तेल की सप्लाई बाधित होने की आशंका जताई जा रही है. इसी वजह से कच्चा तेल 100 बैरल प्रति डॉलर के पार जा चुका है. ऐसे में भारत के पास मौका है कि वह इस स्थिति का लाभ उठाएं और रूस से सस्ते दरों पर लंबे समय के लिए तेल आपूर्ति की डील कर लें.
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आसान नहीं है रूस से दोस्ती
हालंकि, बदली हुई परिस्थिति में भारत के लिए रूस के करीब जाना अमेरिका समेत पक्षमी देशों को नाराज कर सकता है. भारत पर पहले से ही दबाव है कि वह यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की निंदा करें. हालांकि, भारत अपने पुराने और आजमाए हुए दोस्त के खिलाफ जाने से बचता रहा है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस के खिलाफ लाए गए किसी भी प्रस्ताव पर भारत ने वोटिंग नहीं की. इस मामले में संयुक्त राष्ट्र में भारत स्थाई प्रतिनिधि टी.एस. त्रिमूर्ति ने दोनों देशों को अपने सभी विवाद बातचीत से सुलझाने के लिए कहा था.
HIGHLIGHTS
- यूक्रेन युद्ध में फंसे रूस का हुआ बुरा हाल
- भारत से की देश में निवेश बढ़ाने की अपील
- तेल और गैस के क्षेत्र में व्यापार बढ़ाने पर जोड़