सबरीमाला मंदिर महिलाओं के प्रवेश से जुड़ी याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने विचार के लिए पांच जजों की संवैधानिक पीठ को सौंप दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही इस मुद्दे से जुड़े कुछ अन्य बिंदुओं को भी पीठ के पास विचार के लिए भेजा है।
केरल का सबरीमाला मंदिर 10 से 50 साल तक की महिलाओं को प्रवेश नहीं देता है। मंदिर का कहना है कि इस उम्र की महिलाएं बच्चे पैदा करने की उम्र में होती है, इसलिए इन्हें प्रवेश से वर्जित रखा गया है।
चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने संविधान बेंच को विचार के लिए कुछ सवाल तय किये है। संवैधानिक पीठ को यह तय करना है कि क्या कोई मन्दिर लिंग भेद के आधार पर महिलाओं की एंट्री को बैन कर सकता है?
इसके साथ ही,
1.क्या खुद मन्दिर को ये अख्तियार भी है कि वो महिलाओं की एंट्री पर बैन कर दे?
2.क्या ये बैन अनुच्छेद 25 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन नहीं करता?
जैसे मुद्दों पर संविधान पीठ को विचार करना है।
'इंडियन यंग लॉयर्स असोसिएशन' ने इस मामले में जनहित याचिका दायर कर सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की अनुमति की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट में मामला आने से पहले केरल हाई कोर्ट ने मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की मनाही को सही ठहराया था।
हालांकि इंडियन यंग लॉयर्स असोसिएशन ने केरल हाई कोर्ट के इस आदेश को चुनौती देने की बजाए नई याचिका दायर की।
HIGHLIGHTS
- सबरीमाला मंदिर महिलाओं के प्रवेश से जुड़ी याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने विचार के लिए संवैधानिक पीठ को सौंप दिया है
- सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही इस मुद्दे से जुड़े 6 बिंदुओं को भी पीठ के पास विचार के लिए भेजा है
Source : News Nation Bureau