सद्गुगरु जग्गी वासुदेव (Jaggi Vasudev) ने तमिलनाडु में मंदिरों की दुर्दशा को सार्वजनिक कर उनका प्रबंधन भक्तों के हाथों में देने की बात की है. उन्होंने तमिलनाडु सरकार के हलफनामे का जिक्र करते हुए पंथनिरपेक्षता की परिभाषा समझा मंदिरों की देख-रेख समुदाय के लोगों को देने का आग्रह किया है. उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी के मंदिरों पर कब्जे की मानसिकता को याद दिलाते हुए कहा है कि हिंदू धर्म स्थलों के साथ आज भी भेदभाव हो रहा है. ऐसे में जब मंदिरों (Temple) का प्रबंधन आम लोगों के हाथों में आ जाएगा, तो इन पवित्र स्थलों का न सिर्फ भविष्य सुरक्षित रहेगा, बल्कि तभी पंथनिरपेक्षता की तस्वीर भी सही मायने में साकार हो सकेगी.
तमिलनाडु में मंदिरों की बताई दुर्दशा
अपने ट्वीट के जरिए शेयर किए गए संदेश में जग्गी वासुदेव कहते हैं कि प्राचीन भारत में पहले मंदिर बनाए जाते थे. फिर उसके इर्द-गिर्द शहरों को बसाया जाता था. इसी कारण शहरों को टैंपल टाउन कहा जाता था. अंग्रेजों के प्रादुर्भाव वाली ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय मंदिरों की समृद्धि के लालच में उनका प्रबंधन अपने हाथों में लिया था. आज भी तमिलनाडु में हजारों मंदिरों की स्थिति दयनीय है. उन्होंने कहा कि 11,999 मंदिर ऐसे हैं, जहां एक वक्त भी पूजा नहीं होती है. 34 हजार मंदिर ऐसे हैं, जिनकी सालाना आय 10 हजार रुपए से भी कम है. 37 हजार मंदिरों में नियमित पूजा-पाठ के लिए सिर्फ एक आदमी ही है. ऐसे में मंदिरों की देखरेख, सुरक्षा आदि की व्यवस्था कैसे की जा सकती है.
11,999 temples dying without a single pooja taking place. 34,000 temples struggling with less than Rs 10,000 a year. 37,000 temples have just one person for pooja, maintenance,security etc! Leave temples to devotees. Time to #FreeTNTemples -Sg @mkstalin @CMOTamilNadu @rajinikanth pic.twitter.com/cO8XxOmRpm
— Sadhguru (@SadhguruJV) February 24, 2021
यह भी पढ़ेंः पुडुचेरी में बरसे पीएम मोदी, बोले- झूठ के सहारे चलती है कांग्रेस
तभी साकार होगी पंथनिरपेक्षता
इसके साथ ही पंथनिरपेक्षता की परिभाषा बताते हुए सद्गुरु कहते हैं कि पंथनिरपेक्षता के मायने यही है कि सरकार धर्म के मामलों में दखल नहीं दे और धर्म सरकार के आड़े नहीं आए. इसे व्यक्त करते हुए सद्गुरु कहते हैं यही सही समय है जब मंदिरों का प्रबंधन सरकारी तंत्र के हाथों से निकल भक्तों के जिम्मे आए. सद्गुरु ईशा फाउंडेशन नामक मानव सेवी संस्थान के संस्थापक हैं. ईशा फाउंडेशन भारत सहित संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड, लेबनान, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया में योग कार्यक्रम सिखाता है. साथ ही साथ कई सामाजिक और सामुदायिक विकास योजनाओं पर भी काम करते हैं. इन्हें संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद (अंग्रेजी: ECOSOC) में विशेष सलाहकार की पदवी प्राप्त है. उन्होने 8 भाषाओं में 100 से अधिक पुस्तकों की रचना की है. सन् 2017 में भारत सरकार द्वारा उन्हें सामाजिक सेवा के लिए पद्म विभूषण से सम्मानित किया जा चुका है.
HIGHLIGHTS
- सद्गुरु ने मंदिरों का प्रबंधन भक्तों को देने की रखी मांग
- तमिलनाडु सरकार के हलफनामे को बनाया आधार
- साथ ही समझाई पंथनिरपेक्षता की सही परिभाषा