दिल्ली की एक अदालत ने जामिया मिलिया इस्लामिया (Jamia University) के दो छात्रों सफूरा जरगर (Safoora Zargar) और मीरान हैदर की न्यायिक हिरासत एक महीने के लिए बढ़ा दी है. फरवरी में उत्तर पूर्व दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सांप्रदायिक (Delhi Violence) हिंसा से संबंधित एक मामले में दोनों को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत गिरफ्तार किया गया था, जिसमें कम से कम 53 लोग मारे गए थे और 200 लोग घायल हो गए थे. छात्रों को पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा के समक्ष उनकी रिमांड अवधि के अंत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश किया गया और अदालत ने रिमांड को 25 जून तक बढ़ा दिया. जामिया की एक अन्य छात्रा गुलफिशा खातून, कार्यकर्ता खालिद सैफी, कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां और आम आदमी पार्टी (AAP) के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन (Tahir Hussain) को भी अदालत में पेश किया गया. इनका मामला 28 मई को अदालत द्वारा फिर से उठाया जाएगा. जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद, जामिया एलुमनी एसोसिएशन के अध्यक्ष शिफा-उर-रहमान और जामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा पर उक्त मामले के संबंध में यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया है.
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रिहा करने की उठ रही है मांग
दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद सफूरा जरगर इन दिनों चर्चा में है. कश्मीर की रहने वाली इस कथित छात्रा के पक्ष में कैंपेन चलाया जा रहा है. उसे गर्भवती बताते हुए रिहा करने की मांग की जा रही है. लेकिन सफूरा पर लगे भयानक गुनाह के आरोपों को मासूमियत की आड़ में छिपाया जा रहा है. दिल्ली पुलिस की अब तक की जांच से पता चलता है कि सफूरा दिल्ली में दंगा फैलाने वाले देश विरोधी नेटवर्क की बड़ी अहम कड़ी है. शायद बड़े गुनहगारों को बचाने के लिए सफूरा की रिहाई के लिए दिन-रात एक किया जा रहा है. सफूरा के रिहाई के लिए पिछले कुछ दिनों से जबरदस्त कैंपेन चलाया जा रहा है. उसकी प्रेगन्सी और महिला होने को आधार बनाकर उसकी रिहाई की अपील की जा रही है.
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दिल्ली हिंसा को भड़काने का आरोप
दिल्ली पुलिस ने 11 अप्रैल को बताया कि 22 फरवरी की रात नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के विरोध में महिलाएं जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे बैठ गई थीं. दिल्ली पुलिस के हवाले से जानकारी मिली है कि उसी दौरान सफूरा भारी हिंसक भीड़ को लेकर वहां पहुंची और दिल्ली को दंगों की आग में झोंकने की साजिश रची. इसके बाद जिले में कई दिनों तक हिंसा होती रही, जिसमें 50 से अधिक लोगों की जान चली गई. इन दंगों के पीछे बहुत बड़ी साजिश थी. जिसकी एक अहम कड़ी सफूरा जरगर से जाकर जुड़ती है. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की जांच में पता चला है कि संसद के दोनों सदनों से पारित नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सफूरा जरगर लगातार भड़काऊ भाषण देकर लोगों को उकसाती थी. पुलिस को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे के दौरान सफूरा जरगर के चांदबाग में दंगाइयों के साथ होने और दंगे की साजिश रचने की भी ठोस जानकारी मिली है.
HIGHLIGHTS
- सफूरा पर भीड़ को भड़का पूर्वी दिल्ली को दंगों की आग में झोंकने का आरोप.
- अदालत ने न्यायिक हिरासत बढ़ा संकेत दिया कि जांच में सबूत उसके खिलाफ.
- सीएए के खिलाफ भड़की हिंसा में 53 लोग मारे और 200 लोग घायल हो गए थे.