जम्मू-कश्मीर: विधानसभा भंग होने से पहले सज्जाद लोन ने भी बीजेपी के साथ किया था सरकार बनाने का दावा

सज्जाद लोन ने राज्यपाल को एक पत्र लिख कर कहा था कि उनके पास सरकार बनाने के लिए जरूरी आंकड़ें से अधिक विधायकों का समर्थन है.

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saketanand gyan
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जम्मू-कश्मीर: विधानसभा भंग होने से पहले सज्जाद लोन ने भी बीजेपी के साथ किया था सरकार बनाने का दावा

पीपल्स कांफ्रेंस के नेता सज्जाद लोन (फाइल फोटो)

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जम्मू-कश्मीर में एक नाटकीय घटनाक्रम में राज्यपाल ने विधानसभा को भंग कर दिया. राज्य में पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के एक साथ मिलकर सरकार बनाने के दावे का विरोध करते हुए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) समर्थित पीपल्स कांफ्रेंस के नेता सज्जाद लोन ने भी सरकार बनाने का दावा पेश किया था. पीडीपी के विद्रोही विधायकों और सज्जाद लोन के साथ मिलकर बीजेपी एक बार फिर सरकार बनाने की कोशिश में जुटी थी. हालांकि राज्यपाल ने विधानसभा भंग कर दोनों तरफ की उम्मीदों को झटका दे दिया.

विधानसभा भंग होने से तुरंत पहले पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस ने साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा किया था. पीडीपी ने राज्यपाल को 56 विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश की.

सज्जाद लोन ने इसका विरोध करते हुए राज्यपाल को पत्र लिख कर बीजेपी की मदद से सरकार बनाने का दावा पेश किया था. उन्होंने 18 विधायकों के साथ बीजेपी के 25 विधायकों की मदद से सरकार बनाने का दावा पेश किया था और कहा था कि यह बहुमत से अधिक है.

87 सदस्यीय जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बीजेपी के 25 (सभी जम्मू से) विधायक हैं और कश्मीर घाटी की पीपल्स कांफ्रेस के दो विधायकों के समर्थन का पार्टी दावा कर रही थी.

लोन ने राज्यपाल को एक पत्र लिख कर कहा था कि उनके पास सरकार बनाने के लिए जरूरी आंकड़ें से अधिक विधायकों का समर्थन है.

उनका कहना था, 'जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन के लिए फोन पर हुई हमारी बातचीत के बाद मैं जम्मू-कश्मीर राज्य विधानसभा में बीजेपी और 18 अन्य निर्वाचित सदस्यों के समर्थन से सरकार बनाने का औपचारिक रूप से दावा पेश करता हूं.'

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लोन ने कहा था कि जब उनसे कहा जाएगा तब वह बीजेपी विधायक दल तथा अन्य सदस्यों के समर्थन का पत्र पेश करेंगे.

गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में बीजेपी द्वारा समर्थन वापस लिये जाने के बाद पीडीपी-भाजपा गठबंधन टूट गया था जिसके बाद 19 जून को राज्य में छह महीने के लिए राज्यपाल शासन लगा दिया गया था. साथ ही राज्य विधानसभा को भी निलंबित रखा गया था ताकि राजनीतिक पार्टियां नई सरकार गठन के लिए संभावनाएं तलाश सकें.

Source : News Nation Bureau

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