उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh ) में बीएल संतोष पहुंचते हैं और योगी आदित्यनाथ दिल्ली ( Yogi Adityanath Delhi ) आते हैं. यह साफ जाहिर करता है कि पार्टी के अंदर खींचतान चल रही है. योग्य को बीजेपी हाईकमान इसलिए झेल रही है, क्योंकि उत्तर प्रदेश में जल्द ही चुनाव होने वाले हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ( Yogi Adityanath Delhi ) खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी ऊपर समझते हैं, पर चुनाव के बाद उनकी छुट्टी होनी है. जिला पंचायत के चुनाव में बीजेपी को जनता ने आईना दिखा दिया है, लेकिन अब जिला परिषद अध्यक्ष के लिए बीजेपी नहीं बल्कि, उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारी लड़ रहे हैं. अधिकारियों की ही बात मुख्यमंत्री सुनते हैं और अधिकारी अपनी ताकत का प्रयोग जिला परिषद अध्यक्ष में कर रहे हैं. रामेश्वर का उदाहरण हमारे सामने हैं कि किस तरीके से कोर्ट के स्टे के बावजूद एटा में कार्यवाही हुई.
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समर्पण किसने किया योग्य केशव ?
जब मुख्यमंत्री उपमुख्यमंत्री ( Yogi Adityanath Delhi ) के साथ भोजन करने जाएं और दोनों के बीच में तल्खी हो तो ,यह तो मान लेना चाहिए कि किसी एक में समर्पण किया है. अब सवाल यह है कि योगी आदित्यनाथ चुके हैं या फिर केशव प्रसाद मौर्य.
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महामारी नहीं महा राजनीति पर ध्यान
उत्तर प्रदेश में मौत का आंकड़ा छुपाया गया. मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारियों पर दबाव था . अभी भी भारत सरकार की मदद के अनुसार राज्य सरकार यानी उत्तर प्रदेश सरकार काम नहीं कर रही. तीसरी लहर की तैयारियां नहीं है . मैं खुद स्वास्थ्य कमेटी लोकसभा मैं रहा हूं ,मैंने सब कुछ करीब से देखा है.
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HIGHLIGHTS
- सीएम योगी खुद को पीएम मोदी से ऊपर समझते हैं
- सिर्फ अधिकारियों की सुनते हैं सीएम, राजनीतिक द्वेष से हो रही है कारवाही
- समर्पण किसने किया योग्य केशव?, महामारी नहीं महाराजनीति पर ध्यान