दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानून के खिलाफ किसानों के विरोध को 176 दिन हो चुके हैं. सरकार और किसानों के बीच बातचीत का दौर भी बंद हो चुका है. ऐसे में संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिख किसानों से बातचीत करने की अपील की है. किसान मोर्चा द्वारा प्रधनमंत्री मोदी को भेजे गए पत्र में मुख्य तौर पर किसान आंदोलन पर सरकार के रवैये का जिक्र किया गया है. इसके साथ ही ग्रामीणों व सामान्य नागरिको के लिए कोरोना महामारी से बचाव के लिए कदम उठाने का भी आह्वान किया है.
किसान नेताओ का कहना है कि, विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र होने के नाते सरकार को परिपक्वता दिखानी चाहिए व किसानों की मांगों पर विचार करना चाहिए. वे कानून जो किसानों द्वारा ठुकराए जा चुके है उन्हें जबर्दस्ती लागू करना देश की लोकतांत्रिक व मानवता के मूल्यों के खिलाफ है. सयुंक्त किसान मोर्चा शांतिपूर्ण आंदोलन में विश्वास रखता है व शांतमयी विरोध ही जारी रखेगा.
हालांकि ये पहली बार नहीं जब किसान बातचीत करने के लिए सरकार से कह रहे हैं, इससे पहले सरकार और किसान संगठनों के बीच 11 दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका है. दूसरी ओर फिर से बातचीत शुरू हो इसके लिए किसान और सरकार दोनों तैयार हैं, लेकिन अभी तक बातचीत की टेबल पर नहीं आ पाए हैं. दरअसल तीन नए अधिनियमित खेत कानूनों के खिलाफ किसान पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
आंदोलनकारी सुंदर लाल बहुगुणा के निधन सयुंक्त किसान मोर्चा ने शोक व्यक्त किया
वहीं, महान पर्यावरणविद और आंदोलनकारी सुंदर लाल बहुगुणा का देहांत हो गया. सयुंक्त किसान मोर्चा उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त करता है. अनेक आंदोलन के प्रणेता बहुगुणा ने देश-दुनिया की पर्यावरण के बारे में समझ बढ़ाई व लोगो को पर्यावरण से जोड़ा. कर्नाटक से किसान नेता व भारत सरकार में पूर्व मंत्री बाबा गौड़ा पाटिल के निधन पर सयुंक्त किसान मोर्चा शोक व्यक्त करता है. कर्नाटक के किसानों की आवाज गौड़ा का किसान कल्याण में योगदान हमेशा याद रखा जाएगा.
HIGHLIGHTS
- सयुंक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र
- कहा, किसानों से बातचीत कर मांगे माने सरकार
- सरकार और किसानों के बीच बातचीत का दौर भी बंद हो चुका है