शिवसेना नेता संजय राउत ने एक कार्यक्रम में पहले पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के लिए ऐसी बात कही, जो कांग्रेस को चुभ गई. कांग्रेस की ओर से उद्धव सरकार को लेकर चेतावनी दिए जाने के बाद संजय राउत ने पहले सफाई दी और फिर माफी मांगकर अपने बयान को वापस भी ले लिया. उद्धव सरकार के भविष्य को और नुकसान न हो, इसके लिए अब संजय राउत ने 'सामना' में लेख लिखकर इंदिरा गांधी की तारीफ में कसीदे गढ़े हैं. सामना में लिखा गया है कि हमने करीम लाला और इंदिरा गांधी की एक पुरानी मुलाकात का उल्लेख किया था. इसलिए भाजपा की पुतली यंग ब्रिगेड पूछ रहा है कि कांग्रेस इसका खुलासा करे. भाजपा के पास कोई विशेष काम ना होने के कारण वे अब कई विषयों का उत्खनन करने लगे हैं.
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सामना में कहा गया है कि राजनीति में कौन कब किससे मिलेगा और मिलने की परिस्थिति क्या बन जाएगी, यह नहीं कहा जा सकता. ऐसा नहीं होता तो देशद्रोह और अलगाववाद के आरोपों में घिरी महबूबा मुफ्ती से गुफ्तगू करके मोदी या शाह पर सरकार बनाने की नौबत ना आती.
यह भी लिखा गया है कि सभी पार्टियों के लोगों से करीम लाला के करीबी संबंध थे और वह मुंबई में अंडरवर्ल्ड शुरू होने का दौर था. हालांकि यह सब कुछ गत कुछ सालों से राजनीति में शुरू है. वाल्या से वाल्मीकि बनाने वाली वाशिंग मशीन राजनीति में कौन लाया और ऐसे वाल्मीकिओं के लिए किसने पालथी मारी, इसका खुलासा हम करें क्या?
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सामना के अनुसार, प्रधानमंत्री रहते हुए इंदिरा गांधी ने किससे मुलाकात की, यह विवाद का विषय हो ही नहीं सकता. प्रधानमंत्री होने के कारण कई बार अलगाववादियों से चर्चा करनी पड़ती है और ऐसी चर्चा हाल के दिनों में कई बार हो चुकी है.
बीजेपी पर निशाना साधते हुए सामना में लिखा गया है, पिछले कार्यकाल में मुख्यमंत्री कार्यालय से सीधे जेल में किसके फोन जाते थे? क्यों? किसलिए ? इस पर कई बार विस्फोट हो चुके हैं. कोल्हापुर में उम्र कैद की सजा काटने वालों को चुनाव लड़ने के लिए रसद भेजने वाले कौन थे और ऐसे कई आधुनिक वाल्मीकिओं को पुलिस सुरक्षा कैसे मिल रही थी? अगर इसका खुलासा हुआ तो कई लोगों के मुंह हमेशा के लिए बंद हो जाएंगे.
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सामना के अनुसार, आज इंदिरा गांधी नहीं हैं लेकिन गत 5 वर्षों में उनकी प्रतिमा को बार-बार मलिन करने का प्रयास किया गया. इंदिरा जी शक्तिशाली नेता थीं. उन्होंने पाकिस्तान के टुकड़े करके विभाजन का बदला लिया. जो लोग इंदिरा जी की स्मृतियों को हमेशा के लिए मिटाना चाहते हैं उन्हें इंदिरा जी के व्यक्तित्व की चिंता होना आश्चर्यजनक है.
सामना में लिखे गए लेख के अनुसार, शिवसेना ने इंदिरा जी के महान व्यक्तित्व का उनके पुरुषार्थ के कारण सदैव आदर किया. जब-जब इंदिरा गांधी की प्रतिमा को मलिन करने का प्रयास किया गया, तब-तब शिवसेना ढाल बनकर खड़ी रही. शिवसेना ने अपनी सुविधा के लिए ना छत्रपति शिवराय का उपयोग किया और ना ही इंदिरा गांधी का.
Source : News Nation Bureau