नोटबंदी के दौरान दिन रात काम करने वाले भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के 70,000 कर्मचारियों से बैंक उस रकम को वापस लेने की तैयारी कर रहा है जो उन्हें नोटबंदी के दौरान ओवरटाइम सेवा देने के लिए दी गई थी।
बता दें कि यह 70,000 कर्मचारी उन पांच सहायक बैंकों के हैं जिनका विलय अब एसबीआई में हो चुका है।
अपने फैसले को लेकर एसबीआई का कहना है कि जब उसने कर्मचारियों को ओवरटाइम देने का फैसला किया था उस वक्त इन बैंकों का विलय नहीं हुआ था। ऐसे में ओवरटाइम पेमेंट का फैसला एसोसिएट बैंकों के कर्मचारियों पर लागू नहीं होता।
गौरतलब है कि स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर एवं स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर ऐंड जयपुर का एसबीआई में विलय 1 अप्रैल 2017 को हुआ था जबकि नोटबंदी का ऐलान 8 नवंबर 2016 को ही हुआ था।
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बैंक ने अपने आंतरिक सर्कुलर में कहा है कि उन कर्मचारियों को ओवरटाइम का भुगतान करने का फैसला किया गया था जो नोटबंदी के समय एसबीआई की ब्रांच में काम कर रहे थे।
वहीं अब जब बैंक पूर्व के असोसिएट बैंकों के कर्मचारियों से पैसे वापस दिए जाने को कहा गया है तो वे अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं।
उनका कहना है कि उन्हें ओवरटाइम का पैसा मिले एक साल हो गए। अब पैसा वापस करने को कहा जा रहा है।
एसबीआई ने 14 नवंबर से 30 दिसंबर 2016 की अवधि में शाम 7 बजे के बाद भी काम करने वाले बैंक कर्मचारियों को उनके पद के अनुसार मार्च से मई 2017 के बीच ओवरटाइम कॉम्पनसेशन दिया था।
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Source : News Nation Bureau