सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और हरियाणा स्थित 3 रोहिंग्या शिविरों की बुनियादी सुविधाओं से संबंधित विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का केंद्र सरकार को निर्देश दिया है।
इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली बेंच कर रही है जिसमें जस्टिस ए. एम. खानविलकर और जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ भी शामिल हैं।
बेंच ने मेवात, फरीदाबाद और दिल्ली स्थित 3 रोहिंग्या शिविरों पर 4 हफ्ते के अंदर स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। इस मामले की अगली सुनवाई 9 मई को होगी।
भारत में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों ने शिविरों में शौचालय, पेयजल और दूसरी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने का आरोप लगाया था। सात ही कहा था कि इन सुविधाओं के न होने के कारण बच्चे और बुजुर्ग डायरिया के शिकार हो रहे हैं।
रोहिंग्या शरणार्थियों को 19 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी तरह की अंतरिम राहत देने से इनकार किया था। कोर्ट ने केंद्र की उस दलील को माना था कि इससे 'मीडिया में हेडलाइंस बनेंगी' जिससे भारत के म्यांमार और बांग्लादेश के साथ कूटनीतिक रिश्तों पर उलटा असर पड़ सकता है।
उस समय कोर्ट ने कहा था कि इस संबंध में कोर्ट शिविरों में स्वास्थ्य और शिक्षा संबंधी सुविधाएं सुनिश्चित करने को लेकर कोई अंतरिम आदेश नहीं देगा। जबतक कि केंद्र सरकार के दावों के खिलाफ किसी तरह का ठोस तथ्य उसके सामने नहीं रखा जाता है।
शरणार्थी मोहम्मद सलीमुल्लाह और मोहम्मद शाकिर ने कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि शिविरों में स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधा उपलब्ध कराई जाए। जिस तरह से श्री लंका से आए तमिल शरणार्थियों को सुविधा दी गई थी।
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Source : News Nation Bureau