सुप्रीम कोर्ट के हाईवे और इसके आसपास के इलाके में शराबबंदी के फैसले से राज्य सरकारें और बार-रेस्तरां मालिक नाखुश नजर आ रहे हैं। इस फैसले के बाद से ही ये इसकी काट निकालने में जुट गए हैं।
महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार इस फैसले के जवाब में कई बड़े शहरों से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों से हाईवे का दर्जा वापस लेने की तैयारी कर रही है। महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि इन राजमार्गों पर शराब की दुकानें प्रतिबंधित होने से राज्य को सालाना 7,000 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा उठाना पड़ेगा।
आबकारी मंत्री चंद्रशेखर बवनकुले ने विधान सभा में कहा कि राज्य में कुल 25,513 शराब लाइसेंस हैं, राजमार्गों के किनारे 15,699 आउटलेट के लाइसेंस प्रभावित होंगे।
हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने अपने ताजा आदेश में कहा है कि राष्ट्रीय राजमार्गों के 500 मीटर की परिधि में चल रही शराब की दुकानों को बंद किया जाए और इस दायरे में स्थित होटेल्स, रेस्तरां और बार्स में भी शराब परोसने की अनुमति ना दी जाए।
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब इस फैसले पर अमल करने की जगह इसकी काट खोजी जा रही है। ना केवल रेस्तरां और बार मालिक, बल्कि खुद राज्य सरकारें भी कोर्ट के आदेश से बचने की राह बनाने में जुटी हैं। अब तक राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और चंडीगढ़ ने प्रदेश राजमार्गों को डिनोटिफाइ किया है।
वहीं दूसरी ओर कई जगहों पर इस योजना को अमल में भी लाया जा चुका है। चूंकि अदालत का फैसला हाईवे के 500 मीटर की परिधि में शराब की बिक्री रोकने से जुड़ा हुआ है, ऐसे में राष्ट्रीय राजमार्गों को डिनोटिफाइ करने से वहां शराब की बिक्री जारी रह सकेगी।
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HIGHLIGHTS
- राज्य में कुल 25,513 शराब लाइसेंस हैं, राजमार्गों के किनारे 15,699 आउटलेट के लाइसेंस प्रभावित होंगे: आबकारी मंत्री चंद्रशेखर बवनकुले
- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब इस फैसले पर अमल करने की जगह इसकी काट खोजी जा रही है, होटेल्स, रेस्तरां और बार्स में भी शराब परोसने की अनुमति भी नहीं
Source : News Nation Bureau