सुप्रीम कोर्ट ने पूरे देश में बिल्डर-खरीदार एग्रीमेंट में एक जैसे नियम की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया है. सोमवार को सर्वोच्च अदालत ने अपने बयान में कहा कि, भारत में बिल्डरों द्वारा प्रोपर्टी खरीदारों को धोखा दिया जा रहा है. मीडिया एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि, यह नीति का मामला है और यह कोई ऐसा मुद्दा नहीं है, जिस पर अदालतों को गौर करने की जरूरत है.
भारत के मुख्य न्यायाधीश धनंजय वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि, बिल्डर खरीदारों पर क्या-क्या चीजें थोप सकते हैं, इस पर समानता होनी जरूरी है. वरना बिल्डर देश भर के खरीदारों के साथ धोखा करते रहेंगे.
बिल्डर-खरीदार समझौते का मसौदा प्रस्तुत
बता दें कि, SC की ये टिप्पणी साल 2020 में वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए दी गई है. मामले की सुनवाई के दौरान, न्याय मित्र के रूप में पीठ की सहायता करने वाले अदालत को वरिष्ठ अधिवक्ता देवाशीष भारुका ने कोर्ट को बताया कि, राज्य सरकारों के सुझावों को शामिल करते हुए एक अंतिम स्थिति रिपोर्ट और बिल्डर-खरीदार समझौते का मसौदा प्रस्तुत किया गया है.
मिडिल क्लास प्रोपर्टी खरीददारों को मिलेगी राहत
पीठ ने भारुका की रिपोर्ट की समीक्षा करने और कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CREDAI) द्वारा उठाई गई आपत्तियों पर विचार करने की आवश्यकता व्यक्त की, और मामले की अगली सुनवाई 19 जुलाई को तय की है.
गौरतलब है कि, इससे पहले अदालत ने जनवरी 2022 में कहा था कि, एक 'नेशनल मॉडल बिल्डर-बायर अग्रीमेंट' होना चाहिए, ताकि कई बार रियल एस्टेट डिवेलपर्स द्वारा लादी जाने वाली गैर-जरूरी शर्तें से प्रोपर्टी खरीददार परेशान न हों. खासतौरपर मिडिल क्लास के प्रोपर्टी खरीददारों को इससे काफी राहत मिलेगी.
Source : News Nation Bureau