देश में बच्चों से बढ़ते यौन अपराध को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी हाई कोर्ट को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया है कि बच्चों से होने वाले यौन अपराध वाले मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में हो जिसके लिए स्पेशल कोर्ट की तरफ से आदेश दिए जाएं।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बाल यौन अपराध संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के अंतर्गत चलने वाले मामलों की निगरानी और नियमन के लिए जजों की समितियां गठित करने के निर्देश दिए है।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए.एम. खानविलकर और जस्टिस डी.वाई.चंद्रचूड़ की पीठ ने राज्य के पुलिस महानिदेशकों या आयुक्तों को भी विशेष कार्य बल (एसटीएफ) गठित करने के निर्देश दिए, ताकि ऐसे मामलों की जांच तेजी से किया जा सके और गवाहों की पेशी के दिन ही अदालत में सबूत पेश किए जा सकें।
सुप्रीम कोर्ट में आज बताया गया कि पूरे देश की निचली अदालतों में पोक्सो अधिनियम से जुड़े 112,628 मामले लंबित हैं, जिनमें से उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 30,883 मामले लंबित हैं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश जारी किए।
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महाराष्ट्र समेत गोवा, केंद्र शासित प्रदेशों दीव-दमन, दादर और नगर हवेली में इस संबंध में लगभग 16,099 मामले लंबित हैं। इसके बाद मध्यप्रदेश में 10,117, पश्चिम बंगाल में 9,894, ओडिशा में 6,849, दिल्ली में 6,100, केरल और केंद्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप में 5,409, गुजरात में 5,177, बिहार में 4,910 और कर्नाटक में 4,045 मामले लंबित हैं।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि सरकार ने पोस्को कानून में संशोधन कर 12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वालों को मृत्युदंड देने का प्रावधान किया है।
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Source : IANS