सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने रेलवे नौकरी के लिए जमीन घोटाला मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री लालू प्रसाद (lalu yadav) एवं अन्य के खिलाफ सीबीआई को नया मामला दर्ज करने का निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी।
शीर्ष कोर्ट ने कहा कि घोटाले का मुखबिर होने का दावा करने वाला याचिकाकर्ता राहत के लिए उचित फोरम से संपर्क कर सकता है। संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत याचिका सुनवाई के योग्य नहीं है। इस अनुच्छेद के तहत कोई व्यक्ति अपने बुनियादी अधिकार का उल्लंघन के लिए समाधान की मांग कर सकता है।
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बता दें कि वेंकटेश शर्मा ने सीबीआई पर आरोपियों को बचाने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि नौकरी के बदले जमीन के पहलू को जांच से बाहर रखा जा रहा है। याचिका में पूरे मामले की एसआईटी जांच और सीबीआई डायरेक्ट के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि इस केस में कुछ राजनेताओं को बचाने के लिए सीबीआई ने अपने मैनुअल का उल्लंघन किया।
ये है पूरा मामला
इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कार्पोरेशन (आईआरसीटीसी) द्वारा रांची और पुरी में चलाए जाने वाले दो होटलों की देखरेख का काम सुजाता होटल्स नाम की कंपनी को देने से जुड़ा है। तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने विनय और विजय कोचर जो इस कंपनी के मालिक उन्हें टेंडर दिया था। इसके बदले में कथित तौर पर लालू प्रसाद यादव को पटना में बेनामी संपत्ति के रूप में तीन एकड़ जमीन मिली थी।
दर्ज रिपोर्ट में कहा गया है कि लालू ने निजी कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया। सुजाता होटल को ठेका मिलने के बाद 2010 और 2014 के बीच डिलाइट मार्केटिंग कंपनी का मालिकाना हक सरला गुप्ता से राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के पास आ गया। हालांकि इस दौरान लालू रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे चुके थे। इस मामले में राबड़ी और तेजस्वी यादव पर भी मामला दर्ज है।
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Source : News Nation Bureau