सुप्रीम कोर्ट का निर्देश, कचरा शोधन संयंत्र नहीं है तो बंद होगी औद्योगिक इकाई

सभी औद्योगिक इकाईयों को इस बारे में पब्लिक एडवरटिसमेंट के ज़रिए नोटिस दिया जाए।

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Deepak Kumar
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सुप्रीम कोर्ट का निर्देश, कचरा शोधन संयंत्र नहीं है तो बंद होगी औद्योगिक इकाई

File photo- Getty Image

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सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण फैलाने वाली सभी औद्योगिक इकाईयों को चेतावनी भरे लहज़े में कहा है कि यदि उनके पास कचरा शोधन संयंत्र (PETPs) नहीं है तो उनका इकाई बंद कर दी जायेगी। दरअसल कचरा शोधन संयंत्र (PETPs) की मदद से गंदे पानी और औद्योगिक कचरे को साफ़ किया जाता है। जिससे कि वो कचरा बाहर आकर नदियों और तालाबों को दूषित न करे।

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से कहा कि यदि औद्योगिक इकाईयों में चालू अवस्था में कचरा शोधन संयंत्र नहीं हो तो उन्हें काम करने की अनुमति नही दी जाए। लेकिन इससे पहले इस तरह की सभी औद्योगिक इकाईयों को इस बारे में पब्लिक एडवरटिसमेंट के ज़रिए नोटिस दिया जाए।

प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि नोटिस की तीन महीने की अवधि समाप्त होने के बाद राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को औद्योगिक इकाईयों का निरीक्षण करके उनमें कचरा शोधन संयंत्रों की स्थिति के बारे में पता लगाना होगा। यदि फिर भी औद्योगिक इकाईयों में कचरा शोधन संयंत्र काम करते नहीं मिले तो उन्हें और चालू रखने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

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कोर्ट ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिया कि वो इस तरह की सभी औद्योगिक इकाईयों की बिजली आपूर्ति बंद करने के लिये संबंधित विद्युत आपूर्ति बोर्ड को निर्देश दें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन इकाईयों में कचरा शोधन संयंत्र चालू होने के बाद ही उन्हें काम शुरू करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

यही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय प्रशासन और नगर निगमों को भी निर्देश देते हुए कहा है कि वे भूमि अधिग्रहण करने और दूसरी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद तीन साल के भीतर साझा कचरा शोधन संयंत्र स्थापित करें।

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कोर्ट ने कहा कि यदि स्थानीय प्रशासन को साझा कचरा शोधन संयंत्र स्थापित करने और इसे चलाने में वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा हो तो वे इसका उपायोग करने वालों पर उपकर लगाने के मानदंड तैयार कर सकते हैं। न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकारों को साझा कचरा संयंत्र स्थापित करने के बारे में अपनी रिपोर्ट राष्ट्रीय हरित अधिकरण की संबधित पीठ में दाखिल करना होगा।

इससे पहले, कोर्ट ने भूजल सहित तमाम जल स्रोतों में प्रदूषण को लेकर गैर सरकारी संगठन पर्यावरण सुरक्षा समिति की जनहित याचिका पर केन्द्र, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और गुजरात सहित 19 राज्यों के मुख्य सचिवों को नोटिस जारी किये थे।

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Source : News Nation Bureau

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