सुप्रीम कोर्ट ने जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 11 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को केंद्र से जवाब मांगा. एनजीओ लोक प्रहरी ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 11 को चुनौती दी. याचिका की दलील सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी एस.एन. शुक्ला ने दी. धारा 11 के तहत आयोग किसी जनप्रतिनिधि के चुनाव लड़ने या पद ग्रहण करने से अयोग्य होने की अवधि को घटा सकता है.
सुनवाई के दौरान शुक्ला ने शीर्ष अदालत के समक्ष दलील दी कि इस प्रावधान को या तो रद्द कर दिया जाना चाहिए या इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए क्योंकि यह अत्यधिक प्रतिनिधिमंडल के दोष से ग्रस्त है. शुक्ला ने मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ के सामने यह दलीलें रखी.
दलीलें सुनने के बाद पीठ ने केंद्र सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया. पीठ ने उनसे पूछा कि धारा 11 के बारे में इतना बुरा क्या है, यह कहते हुए कि संसद ने खुद महसूस किया कि चुनाव आयोग को यह अधिकार दिया जा सकता है. शुक्ला ने जोर देकर कहा कि इसमें अत्यधिक प्रतिनिधिमंडल है. शुक्ला की दलीलें सुनने के बाद, पीठ ने नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई 5 दिसंबर को निर्धारित की.
Source : IANS