सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के भोजशाला ASI सर्वेक्षण वाले आदेश पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. बता दें कि, इस महीने में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने भोजशाला, जोकि एक संरक्षित 11वीं शताब्दी का स्मारक है, में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था. साथ ही कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई को 1 अप्रैल तक के लिए टाल दिया है. बता दें कि, हिंदू पक्ष भोजशाला को वाग्देवी (देवी सरस्वती) को समर्पित मंदिर मानते हैं, जबकि मुस्लिम पक्ष इसे कमल मौला मस्जिद कहते हैं.
गौरतलब है कि, न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ के समक्ष 11 मार्च के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ एक याचिका तत्काल सुनवाई के लिए पेश की गई, जिसपर पीठ का जवाब था कि, वह दूसरे पक्ष को सुने बिना सर्वेक्षण पर रोक नहीं लगा सकते. कोर्ट ने साथ ही इस मामले की सुनवाई को 1 अप्रैल के लिए सूचीबद्ध कर दिया है, इस मामले में दोबार होली की छुट्टी के बाद अदालत खुलने के बाद सुनवाई होगी.
बता दें कि, याचिकाकर्ता मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी ने तत्काल सुनवाई के लिए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री का रुख किया और कहा कि शुक्रवार को शुरू होने वाला एएसआई सर्वेक्षण संरक्षित स्मारक को नुकसान पहुंचाएगा.
वहीं दूसरी ओर हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने भोजशाला में नमाज के खिलाफ मई 2022 में हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. इसने भोजशाला के "वास्तविक धार्मिक चरित्र" को निर्धारित करने के लिए एक सर्वेक्षण की मांग की थी.
ज्ञात हो कि, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने एएसआई को उन सबूतों के आधार पर स्मारक का सर्वेक्षण करने की अनुमति दी, जो याचिकाकर्ताओं ने स्तंभों की रंगीन तस्वीरों के रूप में प्रस्तुत किए थे, जहां संस्कृत श्लोक लिखे हुए हैं.
अप्रैल 2003 में एएसआई ने हिंदुओं को हर मंगलवार को भोजशाला में पूजा करने की अनुमति दी. मुसलमानों को शुक्रवार को परिसर में नमाज अदा करने की इजाजत दे दी गई.
Source : News Nation Bureau