सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल रजिस्टर सिटीजन (एनआरसी) को लेकर बयान जारी करने के मामले में असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट एनआरसी पर नियंत्रण बनाये हुए है। सर्वानंद सोनोवाल के इस बयान से कि एनआरसी का ड्राफ्ट 31 दिसंबर तक जारी कर दिया जायेगा कोर्ट ने उन्हें फटकार लगायी।
असम के मूल निवासियों की पहचान के लिए एनआरसी लाया जा रहा है ताकि गैरकानूनी पलायन पर रोक लगाई जा सके।
कोर्ट ने कहा की जब वह खुद एनआरसी की निगरानी कर रहा है तो फिर कोई भी संगठन या सत्ताधारी व्यक्ति को यह अधिकार नहीं है कि वह इस प्रकार के बयान जारी करे। जस्टिस रंजन गोगोई और आर एफ नरीमन की बेंच ने ये बात कही।
सुनवाई के दौरान जजों की बेंच ने कहा कि जब यह तय किया गया है कि एनआरसी का ड्राफ्ट 31 मार्च 2019 तक जारी किया जायेगा तो फिर मुक्यमंत्री ये बयान कैसे दे सकते है कि 31 दिसंबर तक वो ड्राफ्ट जारी कर देंगे।
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बेंच ने कहा, 'पिछली बार अपने कहा था कि मार्च 2018 तक यह किया जायेगा। यह अच्छी बात है की आप इसे कर रहे है। लेकिन हमारे पास मुख्यमंत्री का बयां है की वो दिसंबर 2017 तक इस ड्राफ्ट को तैयार कर देंगे। अगर अपनी ही मनमानी चलानी है तो कोर्ट अपना नियंत्रण पूरी तरह खत्म कर देगा।
जब इसका नियंत्रण सुप्रीम कोर्ट के पास है तो किसी भी अन्य संगठन या अधिकारी को इस बारे में कोई बयान जारी करने की जरुरत नहीं है।'
साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि हमने दो वर्ष तक अपना समय और ऊर्जा दोनों एनआरसी के लिए दिए है अब अगर आप अपने मन की चलाते है तो यह गलत होगा।
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Source : News Nation Bureau