सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला देते हुए कहा है कि अगर फर्जी शिक्षा और प्रमाण पत्र के साथ किसी व्यक्ति ने नौकरी या शिक्षा हासिल की है तो उसकी डिग्री और नौकरी दोनों ही रद्द की जाएंगी। इसके अलावा ऐसा व्यक्ति को सज़ा भी दी जाएगी।
गुरुवार को एक रोजगार संबंधी केस की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने यह बात कही है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो कितने ऊंचे पद पर कार्यरत है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'यहां तक कि अगर किसी व्यक्ति को नकली जाति (दस्तावेज) के आधार पर 20 साल के लिए नौकरी मिल गई है, तो वह नौकरी खो देगा और उसे दंडित भी किया जाएगा।'
इससे पहले बीते महीने केंद्र सरकार ने कहा था कि जाली अनुसूचित या पिछड़ी जाति के प्रमाण पत्रों का इस्तेमाल करने वाले कर्मचारियों की नौकरी खारिज कर दी जाएगी। केंद्र सरकार ने सभी केंद्रीय सरकारी विभागों से संबंधित विभिन्न संगठनों से ऐसी नियुक्तियों के बारे में जानकारी जुटाने के निर्देश दिए हैं।
राज्य मंत्री कार्मिक विभाग जितेंद्र सिंह ने मार्च में एक लिखित जवाब के साथ लोकसभा को जानकारी दी थी कि कथित रुप से करीब 1832 नियुक्तियां जाली प्रमाण पत्र के ज़रिए दी गई। इनमें से 276 नियुक्तियां या तो रद्द कर दी गई या फिर निलंबित कर दी गईं जबकि 521 कानूनी पचड़ों में उलझ गई और बाकी 1035 मामलों में अनुशानात्मक कार्रवाई की गई है।
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Source : News Nation Bureau