सर्वोच्च न्यायालय ने भारत में मुस्लिम समुदाय में बहुविवाह, निकाह हलाला, निकाह मुता और निकाह मिस्यार की प्रथा की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक याचिका पर बुधवार को केंद्र सरकार से जवाब मांगा।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ ने सरकार को नोटिस जारी किया।
वुमेन रेजिस्टेंस कमेटी की चेयरपर्सन और कलकत्ता उच्च न्यायालय में अधिवक्ता नाजिया इलाही खान द्वारा दायर नई याचिका में बहुविवाह, निकाह हलाला, निकाह मुता (शिया समुदाय में अस्थाई विवाह की प्रथा) और निकाह मिस्यार (सुन्नी समुदाय में कम अवधि के विवाह की प्रथा) को इस अधार पर चुनौती दी गई कि इनसे संविधान के अनुच्छेद 14,15 और 21 का उल्लंघन होता है।
संविधान का अनुच्छेद 14 कानून के समक्ष समानता की गारंटी, अनुच्छेद 15 धर्म, जाति, लिंग, स्थान और जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव को प्रतिबंधित और अनुच्छेद 21 जिंदगी और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा की गारंटी प्रदान करता है।
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Source : IANS