सुप्रीम कोर्ट ने उत्तरखंड हाईकोर्ट के गंगा और यमुना नदियों को 'लिविंग इन्टिटि' यानि ज़िंदा ईकाई का दर्जा दिए जाने के फैसले पर शुक्रवार को रोक लगा दिया|
उत्तराखंड सरकार ने नैनीताल हाईकोर्ट के गंगा,यमुना और उनकी सहयोगी नदियों को जीवित मानव के अधिकार दिए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी|
याचिका में कहा गया था कि नदियों में आने वाले बाढ़ के कारण, जान-माल के नुकसान की भरपाई का अगर प्रभावित लोग दावा करते है तो उसे कौन पूरा करेगा| राज्य के मुख्य सचिव या फिर राज्य सरकार ये आर्थिक बोझ नहीं उठा सकतें|
उत्तरखंड हाईकोर्ट का ये ऐतिहासिक फैसला 20 मार्च को आया था|गंगा और यमुना को जीवित अधिकार का दर्जा देते हुए हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि नमामि गंगे परियोजना पर जल्द काम हो|
हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को 8 सप्ताह में गंगा मैनेजमेंट बोर्ड बनाने और मुख्य सचिव, महानिदेशक और महाधिवक्ता को किसी भी वाद को स्वतंत्र रूप से में हाईकोर्ट लाने के लिए अधिकृत किया था|
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Source : News Nation Bureau