सुप्रीम कोर्ट ने पीएम नरेंद्र मोदी को 2002 गुजरात दंगे मामले में क्लीन चिट दिए जाने के ख़िलाफ़ ज़ाकिया जाफ़री की याचिका पर होने वाली सुनवाई को अगले चार हफ़्तों के लिए टाल दिया है. दंगों के दौरान सर्वाधिक भयावह घटनाओं में से एक में मारे गए पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया ने गुजरात उच्च न्यायालय के पांच अक्टूबर, 2017 के आदेश को चुनौती दी है. इस आदेश में एसआईटी के फैसले के खिलाफ दायर उनकी याचिका को रद्द कर दिया गया था. बता दें कि गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री रहे मोदी को विशेष जांच दल (एसआईटी) ने 2002 गुजरात दंगों से जुड़े मामले में क्लिन चिट दे दी थी.
ज़ाकिया जाफ़री, दंगों के दौरान सबसे बदतर घटनाओं में से एक गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार में मारे गए कांग्रेस नेता व पूर्व सांसद एहसान जाफरी की विधवा हैं.
यह मामला सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ के सामने आया था. याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा कि उन्होंने सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया है. पीठ ने कहा, 'आप चार हफ्ते मांग रहे हैं और हम आपको चार हफ्ते देते हैं. मामले को चार हफ्ते बाद सूचीबद्ध करें.'
वहीं कांग्रेस ने भी इस मुद्दे को लेकर पीएम मोदी पर निशाना साधा है. कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने 2002 के गुजरात दंगों का मामला उठाते हुए और सिख दंगे में दोषी करार दिए गए नेता सज्जन कुमार का बचाव करते हुए कहा, 'सज्जन कुमार के पास कोई पद नहीं है, न ही पार्टी ने उन्हें कहीं से चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया. जबकि, भारतीय जनता पार्टी नेताओं को, जो दंगों में शामिल रहे हैं, सत्ता में पद दिया गया है. जो तत्कालीन समय में मुख्यमंत्री थे, वह आज देश के प्रधानमंत्री बन चुके हैं."
बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मामले को जनवरी तक के लिए स्थगित कर दिया था.