उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को एक कानून के छात्र द्वारा न्यायाधीशों को 'योर ऑनर' संबोधित करने पर आपत्ति जताई. प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे और न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना और वी. रामसुब्रमण्यम की पीठ ने कानून के छात्र से कहा, जब आप हमें योर ऑनर कहते हैं, तो आपके दिमाग में या तो यूनाइटेड स्टेट्स का सुप्रीम कोर्ट है या मजिस्ट्रेट है. याचिकाकर्ता ने तुरंत माफी मांगी और कहा कि उनका न्यायाधीशों को अपसेट करने का कोई इरादा नहीं था. याचिकाकर्ता ने कहा कि वह अपने मामले पर बहस करते हुए 'माई लॉर्डस' का इस्तेमाल करेगा. मुख्य न्यायाधीश ने जवाब दिया, जो भी हो. हम विशेष नहीं हैं कि आप हमें क्या कहते हैं, लेकिन गलत शब्दों का उपयोग न करें.
कानून के छात्र ने अधीनस्थ न्यायपालिका में रिक्तियों को दाखिल करने के संबंध में शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी. न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यम ने कानून के छात्र को समझाते हुए कहा कि उनके तर्क में कुछ महत्वपूर्ण गायब है और वह इस मामले में अपना होमवर्क किए बिना अदालत में आए हैं. उन्होंने पाया कि कानून के छात्र मलिक मजहर सुल्तान मामले में निर्देशों को भूल गए हैं और अधीनस्थ न्यायपालिका में नियुक्तियां इस मामले में निर्धारित समय-सीमा के अनुसार की जाती हैं.
मामले को स्थगित करते हुए, पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह इस मामले का अध्ययन करे और बाद में वापस आ जाए. अदालत ने साथ ही याचिकाकर्ता को व्यक्तिगत रूप से पेश होने और बहस करने की अनुमति दे दी. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, याचिकाकर्ता के अनुरोध पर, चार सप्ताह के बाद मामले को सूचीबद्ध किया जाए.
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश के बाद 6 जजों की नियुक्ति
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिशों के बाद छह जजों की नियुक्ति हाईकोर्ट के अस्थाई जज के रूप में कर दी है. आपको बता दें कि इसके तहत केरल हाईकोर्ट को चार और दिल्ली हाईकोर्ट को दो अस्थाई जज दिए गए हैं. केरल हाईकोर्ट में दो जज निचली न्यायपालिका से पदोन्नत कर बनाए गए हैं. जबकि दो जज केरल हाईकोर्ट बार के अनुभवी वकील हैं. दिल्ली हाईकोर्ट के अस्थाई जजों के नाम जसमीत सिंह और अमित बंसल है.
Source : News Nation Bureau