सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट को रियल एस्टेट रेग्युलेशन एक्ट (RERA) को चुनौती देने वाली याचिका पर 2 महीने में फैसला लेने के आदेश दिए हैं।
बता दें कि केंद्र सरकार ने रेरा एक्ट को लेकर अलग-अलग हाई कोर्ट में लंबित 23 याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली हाईकोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की थी।
कोर्ट ने आज कहा कि इस मसले पर बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला देखने के बाद ही कोर्ट आगे की सुनवाई करेगा। तब तक फ़िलहाल दूसरे हाईकोर्ट में चल रहे मुकदमों पर सुनवाई नहीं होगी।
इससे पहले इस मसले पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि विभिन्न उच्च न्यायालयों में दायर इन याचिकाओं को न्यायिक निर्णय के लिए दिल्ली हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया जाना चाहिए।
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क्या है रेरा (RERA)?
बता दें कि केंद्र सरकार रियल एस्टेट को रेग्यूलेट करने के मकसद से 1 मई 2017 को रेरा कानून लाई थी। जो कि एक साल बाद संसद से पारित हुआ था। इस एक्ट के अंतर्गत, डेवलपर्स, प्रोजेक्ट्स और एजेंटों को 31 जुलाई तक अपने प्रोजेक्ट्स को रियल एस्टेट रेग्यूलेटरी अथॉरिटी में रजिस्टर करना ज़रुरी था।
कोई भी गैर-पंजीकृत प्रोजेक्ट्स को रेग्यूलेटर अनाधिकृत मानेगा। रेरा के अंतर्गत प्रत्येक राज्य और यूनियन टेरिटरी (केंद्र-शासित प्रदेश) को अपनी खुद की रेग्युलेटरी अथॉरिटी लानी होगी, जोकि तय नियम-कानूनों को लागू कराएगी।
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रेरा के तह्त नए और पहले से चल रहे दोनों प्रोजेक्ट्स कानून के दायरे में आते हैं, जहां कंपलीशन और ऑक्यूपेशन का सर्टिफिकेट नहीं दिया गया हो।
रेरा कानून बिल्डरों की किसी भूखंड, इमारत का अपार्टमेंट या मकानों/प्रॉपर्टी की बिक्री, खरीद, या ऑफर फोर सेल या किसी अचल संपत्ति परियोजना के लिए ग्राहकों को नहीं बुला सकता जब तक की प्रॉपर्टी रजिस्टर न हो।
लेकिन बाद में इसकी संवैधानिकता को लेकर देश के अलग-अलग हाईकोर्ट्स में याचिकाएं दायर की गई और इस मामले पर देश के अलग-अलग कोर्ट्स में सुनवाई चल रही है।
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Source : News Nation Bureau