सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितम्बर को एक ऐतिहासक फैसला लेते हुए कहा कि मेडिकल ट्रमिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (MTP)2021 को विवाहित और अविवाहित के अधार पर बांटना गलत है. यह आर्टिकल 21 के तहत सभी महिलाओ को ये अधिकार देता है कि महिलाएं अपने इच्छा के अनुसार बच्चे पैदा कर सकती है. पहले यह सुविधा सिर्फ विवाहित महिलाओं को थी जिसके तहत 24 हफ्तो तक महिलाएं सुरक्षित गर्भपात करा सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है फैसला तत्काल प्रभाव से लागू करने के लिए कहा है.
सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति डी. वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना की बेंच ने मेडिकल ट्रमिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी2021 की व्याख्या करते हुए कहा कि अविवाहित महिलाओं की सहमती के बिना प्रेगनेंसी को रेप के आधार पर गर्भपात करने का अधिकार है. इस फैसले से लिव इन रिलेशनसिप में रहने वालों के लिए एक राहत की खबर है. केन्द्र की ओर से एडिसनल सॉलिसिटर जनरल एश्वर्या भाटी ने सुप्रीम कोर्ट से इस कानून की व्याख्या करने का निवेदन किया था. न्यायमूर्ति डी. वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यदि कानून में अपवाद है तो डॉक्टरो की सलाह के बाद विवाहित या अविवाहित महिलाएं 24 हफ्ते तक गर्भपात करा सकते है. कानून में पति के जगह पार्टनर शब्द लिखना संसद की साफ मंशा को दर्शाता है.
मेडिकल ट्रमिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी2021 के अनुसार विवाहित महिलाएं 20 हफ्ते तक 1 मेडीकल बुलेटिन और 24 हफ्ते के लिए 2 मेडिकल बुलेटिन के बाद सुरक्षित और कानूनन प्रेगनेंसी ट्रमिनेट कर सकते है. वही रेप पीड़ता को भी अब गर्भपात कराने का अधिकार होगा.