सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में अवैध निर्माण मामले में सख़्ती दिखाते हुए सीलिंग में तेजी लाने का निर्देश जारी किया है।
कोर्ट ने कहा कि अब से अवैध निर्माण के मालिकों को 48 घण्टे पहले नोटिस जारी किया जाए। अवैध निर्माण से जुड़े बिल्डर, ठेकेदार और आर्किटेक्ट के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाए और उन्हें भविष्य के लिए ब्लैक लिस्ट कर दिया जाए।
कोर्ट ने अवैध निर्माण करने वालों को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए 48 घण्टों के भीतर जवाब देने को कहा है। इसके साथ ही कोर्ट ने संबंधित विभाग से कहा है कि नोटिस के 48 घंटो के बाद अवैध निर्माण को लेकर तुरंत क़ानून के मुताबिक कार्रवाई करें।
केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि डीडीए ने 9 जुलाई को मोबाइल ऐप लांच किया है, जिस पर दिल्ली वाले अवैध निर्माण को लेकर शिकायत कर सकते हैं। डीडीए के वाईस चैयरमेन ने बताया कि इस ऐप पर अब तक कुल 438 शिकायतें मिली है।
कोर्ट ने कहा कि DDA अवैध निर्माण को लेकर जारी किए हुए ऐप का ज्यादा से ज्यादा मात्रा में प्रचार करे।
एजी वेणुगोपाल ने बताया कि पूरी दिल्ली को 32 ग्रीड में बांटा गया है, एक नोडल अफसर को इंचार्ज बनाया गया है। ज़ोन में किसी अवैध निर्माण की ज़िम्मेदारी नोडल अफसर की होगी।
जिसके बाद कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया कि सीलिंग ड्राइव में लगे अधिकारियों को पर्याप्त सुरक्षा दें। उन्होंने कहा कि ASI के सीनियर अधिकारी STF (अवैध निर्माण को लेकर गठित) के साथ सहयोग करेंगे।
कोर्ट ने कहा कि इस बात से सीलिंग की कार्रवाई नहीं रुकनी चाहिए कि किसी एरिया में हालात अच्छे नहीं हैं।
कोर्ट ने नज़फगढ़ जोन की वार्ड कमेटी के चैयरमैन मुकेश सूर्यम को सीलिंग ड्राइव से जुड़े अधिकारीयो को काम करने से रोकने के लिए नोटिस जारी किया और व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने को कहा है।
मॉनिटरिंग कमिटी ने कहा था कि मास्टर प्लान में संशोधन लंबित होने के चलते अवैध निर्माण पर कार्रवाई का काम धीमा पड़ गया है। एसजे केंद्र ने कोर्ट को बताया कि उसने एमसीडी को सीलिंग रोकने का कोई निर्देश नहीं दिया है।
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Source : News Nation Bureau