गीता का फारसी में अनुवाद करने वाले और 52 उपनिषदों का भी अनुवाद करने वाले दाराशिकोह (Dara Shikoh) की कब्र की तलाश आजकल चर्चाओं में है. मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि मोदी सरकार (Modi Government) ने दाराशिकोह की कब्र की तलाश के लिए 7 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है. कमेटी को तीन महीने के भीतर दारा शिकोह की कब्र खोजनी है. हालांकि यह काम उतना आसान नहीं है, क्योंकि इतिहास के तथ्यों के अनुसार औरंगजेब (Aurangzeb) से हारने के बाद दारा शिकोह का सिर काटकर आगरा किले में भेजा गया था और बाकी को हुमायूं के मकबरे के पास कहीं दफनाया गया था. यहां ज्यादातर कब्रों पर किसी का नाम नहीं लिखा है.
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पुरातत्वविदों का मानना है कि दारा शिकोह की कब्र खोजना मुश्किल है. दारा शिकोह की कब्र खोजने वाली टीम में डॉक्टर आर.एस. भट्ट, के.के. मोहम्मद, डॉक्टर बी.आर. मनी, डॉक्टर के.एन. दत्त, डॉक्टर बी.एम. पांडेय, डॉक्टर जमाल हसन और अश्विनी अग्रवाल हैं. बताया यह भी जा रहा है कि बीते दिनों खुद केंद्रीय पर्यटन मंत्री प्रह्लाद पटेल हुमायूं के मकबरे पर गए थे.
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30 अगस्त, 1659 को दारा शिकोह की मौत हुई थी. शाहजहां अपने चार बेटों में दारा शिकोह को बहुत पसंद करते थे. दारा शिकोह उदारवादी सोच और बड़े विचारकों में शुमार किए जाते हैं. शाहजहां की बीमारी के साथ ही चारों भाइयों में गद्दी को लेकर संघर्ष शुरू हो गया था. दारा शिकोह के पास औरंगजेब की तुलना में कहीं बड़ी सेना थी, लेकिन दारा शिकोह की रणनीतिक कमजोरी और विश्वासपात्रों की दगाबाजी के चलते औरंगजेब ने लड़ाई जीती और दारा शिकोह को उसके लड़कों समेत बंदी बना लिया. कुछ दिन बाद औरंगजेब के एक भरोसेमंद सिपाही ने दारा शिकोह की गर्दन धड़ से अलग कर दी और उसे औरंगजेब के पास आगरा ले गया.
Source : News Nation Bureau