पूरे देश में गर्मी का सितम जारी है. सूखे और गर्मी से त्रस्त देशवासी मॉनसून के इंतजार में बैठे है. अनुमान लगाया जा रहा है कि 6 जून को केरल में मॉनसून दस्तक दे सकता है. भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक बीते 65 सालों में यह दूसरा मौका है, जब इस तरह से प्री-मॉनसून सूखे की स्थिति पैदा हुई है. इससे पहले साल 1954 में भी सूखे की कुछ ऐसी ही स्थिति पैदा हुई थी. उस दौरान भी प्री-मॉनसून में इतनी कम वर्षा हुई थी, तब देश में 93.9 मिलीमीटर बारिश रिकार्ड की गई थी. इसके बाद मार्च 2009 में अप्रैल और मई के दौरान 99 मिलीमीटर बारिश हुई थी, फिर साल 2012 में यह आंकड़ा 90.5 मिलीमीटर का था और इसके बाद मौजूदा वर्ष 2019 में 99 मिलीमीटर बारिश हुई है.
स्काईमेट के मौसम वैज्ञानिक समर चौधरी ने बताया कि पिछले 65 सालों के दौरान यह दूसरा सबसे ज्यादा सूखा पड़ने वाला वर्ष है. प्रीमॉनसून के लिए सामान्य वर्षा 131.5 मिमी है जबकि इस बार दर्ज की गई बारिश महज 99 मिमी रही. यह स्थिति उन क्षेत्रों पर प्रचलित अल नीनो प्रभाव के कारण है जो ऐसे क्षेत्र जो मानसून की भूमिका को प्रभावित करेंगे.
स्काईमेट के मौसम वैज्ञानिक समर चौधरी ने कहा कि, अगले 48 घंटों के भीतर केरल में मॉनसून के आने की उम्मीद है. इस साल मॉनसून कमजोर रहेगा. दिल्ली और आस-पास के इलाकों के लिए मॉनसून की सामान्य स्थितियां जून के अंतिम सप्ताह में हैं लेकिन इसमें भी 10 से 15 दिनों की देरी हो सकती है.
HIGHLIGHTS
- केरल में अगले 48 घंटों में मॉनसून आने की उम्मीद
- पिछले 65 सालों में यह दूसरी बार इतना बड़ा सूखा
- अल-नीनो प्रभाव के कारण हुआ ऐसा