भारत और चीन के बीच चल रहे तनाव के बीच भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने आज लद्दाख में चीनी सैनिकों के पहुंचने पर एक विस्तृत रिपोर्ट सरकार को जारी कर दी है. न्यूज एजेंसी एएनआई ने बताया कि उसके पास सूत्रों से इस बात की जानकारी सामने आई है कि भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने गुरुवार को पूर्वी लद्दाख में चीनी सैन्य निर्माण पर एक विस्तृत रिपोर्ट सरकार को सौंपी है. इस रिपोर्ट में यह बताया गया है कि चीन ने कैसे इस इलाके में सैकड़ों सैनिकों को अचानक से उतार दिया. एएनआई की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि दौलत बेग ओल्ड सेक्टर और पैंगोंग त्सो सेक्टर सहित अन्य क्षेत्रों में चीनी निर्माण के बारे में जानकारी दी गई है.
एएनआई सूत्रों ने बताया कि इन एजेंसियों ने सरकार को इस बात की भी जानकारी दी है कि चीन और चीन के लोग कैसे इन क्षेत्रों में तेजी से निर्माण कार्य करवा सकते हैं, और कैसे इतने दुर्गम स्थानों तक इतनी बड़ी तादाद में अपने सैनिकों को पहुंचाने का प्रबंध कर सकते हैं. आपको बता दें कि मई के पहले सप्ताह से चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में 5,000 से अधिक सैनिकों को तैनात कर दिया था. चीन ने शुरुआत में बड़ी सैन्य टुकड़ी भेजकर भारत को चकित कर दिया. इसके बाद भारत ने भी हालात को देखते हुए ऊंचाई वाली जगहों पर युद्ध में प्रशिक्षित रिजर्व डिवीजन के जवानों को यहां तैनात करना शुरू कर दिया. आपको बता दें कि ये प्रशिक्षित सैनिक लद्दाख सेक्टर में पहले से तैनात सैनिकों के बाद अलग से तैनात किए गए थे.
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घुसपैठ करना चाहते थे चीनी सैनिक
चीन के सैनिक मई के पहले सप्ताह से एलएसी पर कुछ स्थानों पर भारतीय क्षेत्र के अंदर बैठे हैं, आपको बता दं कि वहां की जमीनी स्थिति में अभी भी कोई बदलाव नहीं हुआ है और दोनों पक्षों के सैनिकों के बीच कई बार आमने-सामने की लड़ाई हुई हैं. सूत्रों से मिली जानकारी से आंकलन किया जा रहा है कि चीनी सैनिक भारतीय सीमा में और गहरी घुसपैठ करना चाहते थे, लेकिन भारतीय बलों ने सैनिकों की समय पर तैनाती कर दी जिसकी वजह से चीनी सैनिक अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाए.
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शनिवार को हो सकती है दोनों देशों के सैन्य मुखिया की बातचीत
चीनी सेना की इस कायराना हरकत के बाद अब शनिवार को दोनों पक्षों के बीच लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की वार्ता हो सकती है. आपको बता दें कि अगर ये बातचीत होती है तो भारत और चीन इस बातचीत में कुछ हल निकालने की उम्मीद कर रहे हैं. हालांकि सूत्रों से ये भी पता चला है कि भारत ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया है कि वो अपनी सीमाओं से जरा भी पीछे हटने के संबंध में कोई समझौता नहीं करेगा. भारत शांति में विश्वास करता है, वह अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए भी प्रतिबद्ध है.