Security Breach in Parliament : संसद को भारत की ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे सुरक्षित इमारतों में गिना जाता है. मगर, कुछ ऐसे हादसे हुए हैं, जिन्होंने इसकी सुरक्षा पर सवाल खड़े किए हैं. ऐसा ही एक मामला बुधवार 13 दिसंबर को हुआ. दोपहर तकरीबन 1 बजे जब लोकसभा की कार्यवाही के चल रही थी, तभी 2 युवक ऑडियंस गैलरी में कूद पड़े. एक ने अपना जूता खोला, तब तक दूसरे युवक ने धुएं का पटाखे जला दिए, जिससे वहां सनसनी फैल गई. हालांकि, वह किसी को चोट पहुंचाते उससे पहले ही उन्हें धर दबोचा गया. वाकई, जो भी संसद की सुरक्षा के स्तर को जानता है, वो हैरान है कि आखिर ये युवक अंदर कैसे पहुंच गए. तो आइए यहां हम आपको संसद की सुरक्षा लेवल के बारे में बताते हैं कि संसद में कितने CCTV कैमरे होते हैं, कितने गार्ड्स होते हैं और भी बहुत कुछ...
हजारों CCTV करते हैं निगरानी
पार्लियामेंट सिक्योरिटी सर्विस के पास ही संसद की सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है और संसद भवन की सेफ्टी का जिम्मा जॉइंट सेक्रेटरी के हाथों में होता है. संसद की सुरक्षा में CRPF, दिल्ली पुलिस और संसद की सेल्फ सेफ्टी टीम शामिल होती है. संसद भवन की सुरक्षा का जिम्मा जॉइंट सेक्रेटरी (सिक्योरिटी) के पास होता है. इसके बाद लोकसभा और राज्यसभा के अपने अपने सुरक्षा घेरे होते हैं. आपको बता दें, इतनी सुरक्षा के अलावा संसद भवन काअपना अलग इंटीग्रेटेड सिक्योरिटी सिस्टम भी होता है, जिसमें हजारों की संख्या में CCTV होते हैं और एक बड़ा सा कंट्रोल रूम भी होता है. जहां बैठकर कर्मचारी लाइव फीड देखकर पूरे भवन में तैनात सुरक्षा कर्मियों को सूचनाएं भेजते हैं.
कैसे होती है संसद भवन में एंट्री
संसद भवन में अंदर जाने से पहले कई लेयर्स में सिक्योरिटी तैनात रहती है. संसद में एंट्री करने वाले हर शख्स को कड़ी चेकिंग से गुजरना पड़ता है. सबसे पहले स्कैनर मशीनों और बैरिकेड्स से गुजरना होता है. इसके बाद संसद भवन में सांसदों के अलावा किसी भी दूसरे को अंदर जाने के लिए खास एंट्री कार्ड मिलता है. इस कार्ड को स्कैन करने के बाद ही बाहरी गेट से एंट्री मिलती है. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये पास जारी कैसे होता है? संसद के किसी भी कर्मचारी, सुरक्षाकर्मी या फिर विजिटर को पास देने की रिस्पॉन्सिबिलिटी पार्लियामेंट्री सिक्योरिटी सर्विस की होती है. किसी की भी गाड़ी को अंदर जाने के लिए पार्लियामेंट्री सिक्योरिटी सर्विस की होती है.
हर पल की रखी जाती है खबर
पूरे संसद भवन की बाहर और अंदर से हो रही सुरक्षा का अपडेट लगभग हर 1.2 सेंकेंड में भेजा जाता है. कोई भी संदिग्ध हरकत होती है, तो भवन में अलार्म बजने लगते हैं और सुरक्षा घेरे को टाइट कर दिया जाता है. अंदर ही नहीं यदि संसद के बाहर भी कोई व्यक्ति कुछ गलत हरकत करे या जबरदस्ती अंदर घुसने की कोशिश करे, तो ये अलार्म बज जाते हैं.
2001 हमले के बाद बदली गई थी सुरक्षा
13 दिसंबर 2001 को संसद भवन में बड़ा आतंकी हमला हुआ था, जिसे आज भी याद करके लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं. 5 हथियारबंद आतंकवादी अंदर घुस आए थे. इसमें दिल्ली पुलिस के 5 जवान सहित 9 लोगों की मौत हुई थी. इस हमले के बाद सुरक्षा के लिए एक ऐसे ग्रुप का गठन किया गया था जो आधुनिक हथियारों से लैस कमांडो फोर्स थी, जिसे पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप नाम दिया गया. इनके पास आधुनिक हथियार होते हैं और ये संसद के चप्पे-चप्पे पर तैनात रहते हैं. ये सभी स्पेशल ट्रेनिंग वाले कमांडो होते हैं. इस ग्रुप के सुरक्षाकर्मियों को CRPF से लिया जाता है और ये केवल 4 साल के लिए ही इस सर्विस में आते हैं और बाद में CRPF में वापस लौट जाते हैं.
Source : Sports Desk