केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ ने कहा है कि सुरक्षा बल और वैज्ञानिक किसी भी आतंकी चुनौती से निपटने में सक्षम हैं. रक्षा अनुसंधान तथा विकास स्थापना (डीआरडीई) ग्वालियर आए रक्षामंत्री ने शुक्रवार को कहा, 'यहां विकसित उत्पादों और प्रौद्योगिकियों के निरीक्षण के उपरांत मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि यहां के वैज्ञानिकों का पिछले 45 वर्ष का श्रम इसे महत्वपूर्ण ऊंचाइयों पर ले गया है.'
उन्होंने यह भी कहा कि जैव-रसायन आतंकवाद की संभावना से कभी इनकार नहीं किया जा सकता. डीआरडीई, ग्वालियर बायो-डिफेंस नामक एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर कार्य कर रही है, जिसका उद्देश्य देश की सशस्त्र सेनाओं एवं आम आबादी की रक्षा करना है. डीआरडीई, ग्वालियर इस दिशा में पूरी तरह सक्षम एवं तैयार है. डीआरडीई द्वारा जैव रसायन अभिकारकों की पहचान और बचाव में विकसित किए गए उत्पादों को देखकर मैं आश्वस्त हूं कि हम किसी भी चुनौती से निपटने में सक्षम हैं.
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डीआरडीई के अध्यक्ष, महानिदेशक (जैवविज्ञान) एवं शीर्षस्थ वैज्ञानिकों के साथ समीक्षा बैठक में रक्षामंत्री को ग्वालियर में चल रहे अनुसंधान परियोजनाओं की जानकारी दी गई. इसके तुरंत बाद रक्षामंत्री ने डीआरडीई-ग्वालियर द्वारा विकसित उत्पादों की प्रदर्शनी का मुआयना किया तथा प्रत्येक उत्पाद की कार्यप्रणाली के बारे में वैज्ञानिकों से जानकारी ली.
इस अवसर पर डीआरडीई के वैज्ञानिकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों को संबोधित करते हुए सचिव, रक्षा अनुसंधान तथा अनुसंधान विभाग के सचिव डॉ.जी.सतीश रेड्डी ने कहा कि रक्षामंत्री ने कल ही एलसीए में उड़ान भरी है और आज वह डीआरडीई की एक जैवविज्ञान प्रयोगशाला में आए हैं. जैवविज्ञान प्रयोगशाला होने के नाते इस प्रयोगशाला का सेनाओं के साथ-साथ नागरिक क्षेत्र में भी सीधा योगदान है.
इसके पूर्व अपने उद्बोधन में महानिदेशक (जैवविज्ञान) डॉ.ए.के. सिंह ने कहा कि देश की जीडीपी में रसायन उद्योग की भागीदारी लगभग दो प्रतिशत है एवं डीआरडीई के कार्यकलापों का इस उद्योग पर सीधा असर है. इस तरह डीआरडीई देश की जीडीपी बढ़ाने में सक्रिय भागीदार है.