वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया (IAF Chief R K S Bhadauria) ने पूर्वी लद्दाख (East Ladakh) में चीन के साथ सीमा पर लंबे समय से चल रहे गतिरोध के संदर्भ में कहा कि हमारी उत्तरी सीमा पर मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य असहज है जहां “न युद्ध, न शांति” की स्थिति है. एयर चीफ मार्शल भदौरिया ने एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि वायुसेना ने स्थिति पर तेजी के साथ प्रतिक्रिया दी है और वह क्षेत्र में किसी भी “दुस्साहस” का जवाब देने के लिए दृढ़ संकल्पित है.
वायुसेना प्रमुख ने कहा, “हमारी उत्तरी सीमा पर मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य असहज है, जहां न युद्ध, न शांति की स्थिति है. जैसा कि आप अवगत हैं, हमारे सुरक्षा बल किसी भी चुनौती से निपटने के लिये पूरी तरह तैयार हैं.” उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना अगले दो दशकों में करीब 450 विमान और हेलीकॉप्टर बेड़े में शामिल करने पर विचार कर रही है.
इसके अलावा इस अवधि में 200-300 विमानों का उन्नयन करेगी. वायुसेना प्रमुख ने कहा कि विगत में हासिल किये गए सी-17 ग्लोबमास्टर विमान, चिनूक और अपाचे हेलीकॉप्टरों के साथ हाल ही में वायुसेना में शामिल राफेल लड़ाकू विमानों ने वायुसेना की सामरिक और रणनीतिक क्षमता में खासी बढ़ोतरी की है.
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उन्होंने भारतीय एरोस्पेस उद्योग से जुड़े एक सम्मेलन में कहा, “भविष्य में होने वाले किसी भी संघर्ष में वायुशक्ति हमारी जीत में अहम कारक रहेगी. इसलिये यह जरूरी है कि वायुसेना अपने दुश्मनों के खिलाफ प्रौद्योगिकी में बढ़त हासिल करे और उसे बरकरार रखे.” फ्रांस में निर्मित पांच बहुउद्देशीय राफेल लड़ाकू विमानों को 10 सितंबर को वायुसेना में औपचारिक रूप से शामिल किया गया. विमानों का यह बेड़ा पिछले कुछ हफ्तों से पूर्वी लद्दाख में उड़ानें भर रहा है.
भारतीय वायुसेना ने पहले ही सुखोई 30 एमकेआई, जगुआर और मिराज 2000 जैसे अपने सभी प्रमुख लड़ाकू विमानों को पूर्वी लद्दाख में प्रमुख सीमावर्ती अड्डों और वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे अन्य स्थानों पर तैनात किए हैं. वायुसेना प्रमुख ने कहा कि हल्के लड़ाकू विमान तेजस की दो स्क्वाड्रन और सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों में कुछ स्वदेशी हथियारों को बेहद कम समय में लगाया जाना देश के स्वदेशी सैन्य उपकरण बनाने की क्षमता को दर्शाता है.
वायु सेना प्रमुख ने पांचवीं पीढ़ी के विमानों के स्वदेशी विकास का भी जोरदार समर्थन किया. भदौरिया ने हल्के लड़ाकू विमान तेजस के विकास से जुड़े सभी पक्षों को बधाई देते हुए कहा, "हम पांचवीं पीढ़ी के विमानों के स्वदेशी विकास का पूरा समर्थन करते हैं.
हमें छठी पीढ़ी की प्रौद्योगिकी के साथ पांचवीं पीढ़ी के विमान के लिए एकल बिंदु एजेंडा की आवश्यकता है." उन्होंने अपने हवाई चेतावनी और नियंत्रण प्रणाली ‘नेत्र’ के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की सराहना की और इसे एक शानदार उपलब्धि बताया.
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भदौरिया ने डीआरडीओ और रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों से कहा कि वे प्रमुख परियोजनाओं में निजी क्षेत्र को शामिल करें और उनके साथ अपने जैसा बर्ताव करें. उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर हम 450 विमानों के ऑर्डर पर गौर कर रहे हैं. इसमें हेलीकॉप्टरों का बेड़ा भी शामिल होगा.
Source : Bhasha