जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों के बंद बुलावे के मद्देनज़र घाटी में कर्फ्यू जैसे हालात हो गए हैं। सुरक्षा बलों ने किसी भी तरह का खतरा मोल न लेते हुए सुरक्षा कड़ी कर दी है।
अलगाववादियों ने पिछले हफ्ते सुरक्षाबलों की गोलीबारी में मारे गए एक युवक के विरोध में प्रदर्शन का आह्वान किया है।
संवेदनशील इलाकों में नौहट्टा, रैनावारी, खानयार, एम.आर.गंज, क्रालखंड, मैसूमा और सफा कदल को शामिल किया गया है। इसके अलावा अनंतनाग, शोपियां, पुलवामा, कुलगाम, बारामूला, बडगाम, गांदरबल, बांदीपोरा और कुपवाड़ा जिलों में आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत प्रतिबंध लगाया गया है।
अलगाववादियों ने जनावपोरा गांव के आदिल फारुख मागरे की हत्या के विरोध में भी बंद एवं प्रदर्शन का आह्वान किया है।
गुरुवार को पथराव कर रही पत्थरबाजों की भीड़ में शामिल मागरे की सुरक्षा बलों के साथ हुई झड़प में मौत हो गई थी।
प्रशासन ने सुरक्षा के मद्देनजर सभी शिक्षण संस्थानों को बंद करवा दिया है। इसके अलावा हिंसा की आशंका के मद्देनज़र शुक्रवार को होने वाली परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं।
बारमूला और बनिहाल के बीच चलने वाली रेल सेवाएं रद्द कर दी गई हैं।
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वरिष्ठ अलगाववादी नेता सईद अली शाह गिलानी को नजरबंद रखा गया है, वहीं मीरवाइज उमर फारूक को भी शुक्रवार को नजरबंद किया गया है।
पुलिस ने बताया कि जम्मू एवं कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के अध्यक्ष यासीन मलिक का कहीं कुछ पता नहीं चल रहा है। वह लाल चौक पर प्रदर्शन की योजना बना रहे हैं।
पुलिस ने बताया कि जिन स्थानों पर प्रतिबंध नहीं लगाया है, वहां पर सुरक्षाबलों की भारी तैनाती की गई है।
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यहां तक कि घाटी में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगा दी गई है।
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Source : News Nation Bureau