आईआईटी से जुड़े एक प्रोफेसर को देश की प्रतिष्ठित नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस, के फेलो के रूप में चुना गया है। प्रो. विमल मिश्रा को यह फेलोशिप भूमि-वायुमंडलीय युग्मन की समझ को आगे बढ़ाने और जल-जलवायु पर किए गए शोध के लिए मिली है।
भारत की सबसे पुरानी विज्ञान अकादमी, प्रतिष्ठित नेशनल एकेडमी आफ साइंस के लिए फेलो चुने गए प्रोफेसर विमल मिश्रा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गांधीनगर में सिविल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर हैं।
प्रोफेसर मिश्रा को भूमि-वायुमंडलीय युग्मन की समझ और जल-जलवायु चरम सीमाओं पर इसकी भूमिका को आगे बढ़ाने में उनके उल्लेखनीय शोध योगदान की मान्यता में फेलोशिप प्राप्त हुई है, जिसने भारत में जल चक्र परिवर्तनों पर प्राकृतिक और मानवजनित कारकों की भूमिका को निर्धारित करने की अनुमति दी है।
यह रिसर्च उपमहाद्वीप और जल स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। प्रोफेसर विमल मिश्रा के शोध ने बदलते ग्रीष्म मानसून वर्षा की विशेषताओं और भारत में भूजल पुनर्भरण पर उनके प्रभाव की एक महत्वपूर्ण समझ प्रदान की है। इसके अलावा, प्रोफेसर मिश्रा ने मिट्टी की नमी, धारा प्रवाह और सूखे के लिए एक रियल टाइम की निगरानी और भविष्यवाणी प्रणाली विकसित करने में योगदान दिया है।
उनका रिसर्च भारत में घटते जल संसाधनों के प्रबंधन के लिए भी आवश्यक है। इस उपलब्धि पर विचार साझा करते हुए, प्रो विमल मिश्रा ने कहा, नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस, भारत का फेलो होना वास्तव में वाटर एंड क्लाइमेट लैब के सभी वर्तमान और पिछले छात्रों की कड़ी मेहनत का सम्मान है। मैं अपने सभी छात्रों, शुभचिंतकों और परिवार का आभारी हूं।
गौरतलब है कि हाल ही में, प्रोफेसर विमल मिश्रा ने पृथ्वी विज्ञान में अपने उत्कृष्ट शोध और योगदान के लिए प्रतिष्ठित 2021 अमेरिकी भू भौतिकीय संघ देवेंद्र लाल मेमोरियल मेडल भी जीता था।
गौरतलब है कि आईआईटी गांधी नगर के शोधकर्ताओं ने अति-व्यायाम के जोखिम को रोकने के लिए कार्डियक-सेंसिटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-सक्षम वर्चुअल रियलिटी-आधारित ट्रेडमिल व्यायाम प्लेटफॉर्म का आविष्कार किया है।
इस इनोवेशन से हृदय की सहनशक्ति, गति संतुलन और चलने के पैटर्न में सुधार हो सकता है, जिससे अति-व्यायाम के जोखिम को रोका जा सकता है। साथ ही यह इनोवेशन एक अनुकूली, प्रगतिशील और इमर्सिव व्यायाम अनुभव प्रदान करता है। यह जिम और ट्रेडमिल उपयोगकर्ताओं के साथ-साथ ऐसे रोगियों के लिए बहुत उपयोगी है जिन्हें चलने में समस्या है।
आईआईटी गांधीनगर के अनुसंधान दल ने इस आविष्कार के लिए एक भारतीय पेटेंट भी दायर किया है।
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Source : IANS