कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल का आरोप है कि मोदी सरकार ने राफेल सौदे में प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया। साल 2015 में इस सौदे की घोषणा से पहले इसके बारे में विदेश मंत्रालय को भी जानकारी नहीं थी।
कपिल सिब्बल चाहते हैं कि सरकार लड़ाकू विमान की कीमत सहित देश के लोगों को सच बताए। सिब्बल ने कहा, 'प्रधानमंत्री ने विदेश मंत्रालय को सूचित किए बगैर 36 राफेल खरीदे। यहां तक कि दासॉल्ट के सीईओ को भी घोषणा के 15 दिन पहले तक पता नहीं था। वह सोचते थे कि सौदे का 95 फीसदी हिस्सा एचएएल (हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड) के साथ है, सिर्फ पांच फीसदी बचा हुआ है।'
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने इस सौदे की घोषणा 10 अप्रैल, 2015 को करने के दो दिन पहले तक विदेश सचिव एस. जयशंकर को इस सौदे के बारे में जानकारी नहीं थी।
अपनी हाल में जारी किताब में 'शेड्स ऑफ ट्रथ--जर्नी डिरेल्ड' में पूर्व केंद्रीय मंत्री ने लड़ाकू विमान समझौते को रहस्यमय बताते हुए जिक्र किया है। मोदी ने तत्कालीन रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर को भी विश्वास में नहीं लिया। उन्होंने अप्रैल 2015 में फ्रांस के दौरे के दौरान अचानक पहले से तैयार की गई 36 राफेल विमानों के खरीदे जाने की घोषणा कर दी।
मोदी के फ्रांस दौरे की पूर्व संध्या पर एक प्रेस कांफ्रेंस में जयशंकर ने मीडिया से कहा था कि एचएएल दासॉल्ट का एविएशन साझेदार है। उन्होंने कहा था कि सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम सौदे के लिए तैयार है।
मोदी ने विदेश में सौदे की घोषणा कर देश की परंपरा को तोड़ दिया और एचएएल से इसे छीनकर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। दासॉल्ट व एचएएल ने मार्च 2015 में सार्वजनिक रूप से 90 फीसदी सौदे के पूरे होने की घोषणा की और अप्रैल 2015 में उनके फ्रांस दौरे में इस सौदे को खत्म कर दिया गया।
सिब्बल अपनी किताब में कहते हैं, 'सरकार का एक पीएसयू के साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार करना आश्चर्यचकित करता है। मोदी ने एक सरकारी कंपनी के बजाय एक निजी कंपनी को तरजीह दी और इसका कारण वह अच्छी तरह से जानते हैं, मगर देश को बताते नहीं हैं।'
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'अगला लोकसभा चुनाव हमें कई स्तरों पर लड़ना है। 2014 में विपक्षी दलों के वोट बंट गए थे, लेकिन अबकी बार सभी विपक्षी दल एकजुट होकर भाजपा को हराएंगे।'
Source : IANS