राजस्थान (Rajasthan) में अशोक गहलोत सरकार पर खतरा मंडरा रहा है. कांग्रेस के सामने पार्टी के अंदर चल रही सियासी खींचतान के बीच राजस्थान में सरकार को बचाने की बड़ी चुनौती है. सचिन पायलट (Sachin Pilot) की पूर्व में रही ज्योतिरादित्य सिंधिया से नजदीकी के कारण अब कांग्रेस को यह डर ज़्यादा सता रहा है कि कहीं मध्यप्रदेश की तर्ज पर राजस्थान में भी कोई बड़ी तोड़फोड़ नहीं हो जाए. इस बीच कांग्रेस के बड़े नेता कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने राजस्थान के सियासी संकट पर इशारों-इशारों में ही पार्टी आलाकमान को नसीहत दी है.
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राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार पर संकट मंडराते हुए देख कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने चिंता जाहिर की है. सिब्बल ने राजस्थान सरकार का जिक्र किए बगैर ट्वीट में साफ इशारा किया है. कपिल सिब्बल ने अपने ट्वीट में लिखा है, 'अपनी पार्टी के लिए चिंतित हूं. क्या हम तभी जागेंगे जब घोड़े हमारे अस्तबल से निकल जाएंगे.'
Worried for our party
— Kapil Sibal (@KapilSibal) July 12, 2020
Will we wake up only after the horses have bolted from our stables ?
दरअसल, सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने दिल्ली पहुंचे हैं. उन्होंने पार्टी प्रमुख से मिलने के लिए समय मांगा है. सूत्रों ने बताया कि पायलट के खेमे के करीब एक दर्जन विधायक एनसीआर-दिल्ली क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर ठहरे हुए हैं. पायलट शनिवार को दिल्ली आए थे. सूत्रों के अनुसार, पायलट खेमे के सदस्य माने जाने वाले विधायक पी. आर. मीणा ने राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार द्वारा उनसे किए जाने वाले सौतेले व्यवहार से सोनिया गांधी को अवगत कराने के लिए उनसे मिलने की मांग की थी.
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इसी बीच मुख्यमंत्री गहलोत ने शनिवार देर रात जयपुर में अपने आधिकारिक आवास पर अपने मंत्रियों की बैठक बुलाई और सभी पार्टी विधायकों को उन्हें समर्थन पत्र देने को कहा। इस कार्य के लिए वरिष्ठ मंत्रियों को चुना गया है. हालांकि पायलट खेमे के मंत्री इस बैठक में शामिल नहीं हुए.
गौरतलब है कि राजस्थान में 2018 में कांग्रेस ने सचिन पायलट को आगे कर विधानसभा चुनाव लड़ा था. लेकिन चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बना दिया. जिसके बाद से ही राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच बयानबाजी का दौर चलता आ रहा है. सचिन पायलट इसीलिए भी नाराज हैं, क्योंकि उन्हें अपने राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष पद के जाने का डर है. सचिन 2014 से ही राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. सचिन को लग रहा है कि उन्हें अध्यक्ष पद से हटाने की तैयारी चल रही है.
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कांग्रेस में मचे घमासान को देखते हुए विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी भी सक्रिय है. बस दिक्कत यही है कि भाजपा को राजस्थान में सत्ता बदलने के लिए करीब 25 विधायकों की ज़रूरत होगी, हालांकि यह आसान नहीं लगता. मौजूदा वक्त में राज्य विधानसभा में कुल 200 विधायकों में से कांग्रेस के पास 107 विधायक और बीजेपी के पास 72 विधायक हैं. राज्य के 13 में से 12 निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी कांग्रेस को है.