केंद्र और दिल्ली के बीच अधिकार विवाद पर अरविंद केजरीवाल को झटका लगा है। इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के एलजी के पास, किसी भी राज्य के गवर्नर से ज़्यादा अधिकार हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'जहां एक राज्य के गवर्नर को मंत्रिमंडल की सलाह के मुताबिक काम करना होता है, वहीं दिल्ली के उपराज्यपाल के मामले में ऐसा नहीं है।'
सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी तब आई जब दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने दलील दी कि एलजी महज राष्ट्रपति के प्रतिनिधि है, वो दिल्ली में सत्ता नहीं चला सकते। दिल्ली में सरकार चलाने का अधिकार सिर्फ मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल को है। किस विभाग में कौन अधिकारी कब तक रहेगा या उसका ट्रांसफर होगा, ये तय करना एलजी का काम नहीं है।
दिल्ली सरकार की इस दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'इसमे कोई दो राय नहीं कि ज़मीन, पब्लिक ऑर्डर और पुलिस पूरी तरह से केन्द्र सरकार के अधीन आते हैं और दिल्ली विधानसभा इनसे जुड़े कानून नहीं बना सकती।'
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एलजी और दिल्ली सरकार के बीच अधिकारों के विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही है।
हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने आदेश में एलजी को एडमिनिस्ट्रेटिव हेड बताया था। जिसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार ने 6 अपील दायर की है।
अभी तक दिल्ली सरकार की ओर से गोपाल सुब्रमण्यम, इंदिरा जयसिंह और राजीव धवन जैसे वरिष्ठ वकील दिल्ली सरकार के पक्ष में दलील रख चुके है।
आगामी मंगलवार को होने वाली सुनवाई में अब केंद्र सरकार की ओर से अटॉनी जनरल केके वेणुगोपाल अपना पक्ष रख सकते हैं।
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Source : News Nation Bureau