मोदी सरकार (Modi Government) ने बुधवार को लॉकडाउन (Lockdown) की वजह से देश के अलग-अलग हिस्सों में फंसे लोगों को घर भेजने संबंधी अहम फैसला लिया था. केंद्र ने राज्यों से कहा था कि दूसरे राज्यों में फंसे हुए लोगों को बसों के जरिये उनके गंतव्य स्थान तक भेजे जाने की व्यवस्था करें. सात राज्यों ने अब मोदी सरकार के इस फैसले का विरोध किया है. इन राज्यों ने कहा कि बसों से लोगों को घर भेजने का फैसला अव्यवहारिक है. इस प्रक्रिया में कई महीने लग जाएंगे. राज्यों ने लोगों को विशेष ट्रेनें चलाकर घर भेजने की मांग की है.
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गृह मंत्रालय ने लॉकडाउन में फंसे लोगों को घर भेजने के लिए गाइडलाइन जारी की थी. लोगों को बसों से घर भेजने के मोदी सरकार के फैसले का विरोध तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु, राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब और बिहार ने किया है. हालांकि, गृह मंत्रालय ने गुरुवार को कोरोना वायरस पर हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ कर दिया है कि मौजूदा समय में लोगों को सिर्फ बसों के जरिये ही उनके गंतव्य स्थान तक भेजा जा सकेगा.
कैबिनेट सचिव के साथ सभी राज्यों के प्रमुख सचिवों की बैठक में यह मुद्दा उठा. इस बैठक में कहा गया कि सरकार मामले पर गौर करेगी. सबसे पहले केरल सरकार ने मोदी सरकार के फैसले का विरोध किया था. उन्होंने कहा था कि लोगों को घर भेजने के लिए विशेष नॉन स्टॉप ट्रेनें चलाई जाएं. केरल सरकार का कहना है कि दूसरे राज्यों में जाने वालों की संख्या अधिक है. ऐसे में बसों से यह यात्रा काफी लंबी होगी, जिससे कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा रहेगा.
तेलंगाना के मंत्री तालासानी श्रीनिवास यादव ने भी ट्रेन चलाने की डिमांड की है. उन्होंने कहा कि देश में लॉकडाउन के चलते विभिन्न राज्यों में करीब दो करोड़ लोग फंसे हुए हैं. मोदी सरकार की गाइडलाइंस ठीक नहीं है. लोग इतनी गर्मी में तीन से चार दिन तक कैसे बस में सफर कर पाएंगे, बल्कि बसों की तुलना में ट्रेन बेहतर विकल्प है. वहीं, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने पीएम नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि इन लाखों प्रवासी कर्मियों एवं श्रमिकों के सुरक्षित आवागमन के लिए केंद्र को बिना किसी देरी के विशेष ट्रेनों का संचालन प्रारंभ करना चाहिए.
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पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि अकेले पंजाब में ही करीब 7 लाख प्रवासी मजदूर हैं. पूरे राज्य में इनकी संख्या लाखों में है. इनमें से अधिकांश प्रवासी बिहार के रहने वाले हैं. अगर सभी की मेडिकल जांच करके बसों से भेजा जाएगा तो बहुत समय लगेगा. इसके लिए ट्रेन काफी अच्छा विकल्प है. वहीं, बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने दावा किया- इस प्रक्रिया में बसों की क्षमता और सड़क मार्ग को देखते हुए महीनों का समय लगेगा. उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार को नॉन स्टॉप स्पेशल ट्रेनें चलाई जानी चाहिए.